



अमित मिश्रा
कोन (सोनभद्र) । ओबरा वन प्रभाग के कोन वन रेंज के अंतर्गत संपूर्ण सेक्शन में वन भूमि पर अवैध कब्जा बदस्तूर जारी है। झारखंड अंतर्राज्यीय सीमा पर स्थित बागेसोती बीट में झारखंड वासियों ने उत्तर प्रदेश सीमा के अंदर लगभग 70 मीटर तक आकर घर तक बना लिए हैं।
इसके अलावा, खोहिया जंगल, बड़ाप के ललुआखोह, भालुकूदर के धरनवा बॉर्डर, कोन के मिश्री, डोमा, चांचीकलां, नरहटी और हर्रा के पडरक्ष सहित कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई कर वन भूमि पर कब्जा किया जा चुका है। साथ ही अवैध खनन और बालू परिवहन भी धड़ल्ले से जारी है।
वन विभाग की उदासीनता से नाराज ग्रामीणों का प्रदर्शन
स्थानीय लोगों ने कई बार इस अवैध कब्जे और खनन की शिकायत संबंधित अधिकारियों से की है, लेकिन वन विभाग द्वारा मात्र कागजी कार्रवाई कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इससे आक्रोशित होकर बड़ाप क्षेत्र में रामचंद्र सिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने वन विभाग की मनमानी और भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाए। उन्होंने कहा, “वन विभाग की मनमानी नहीं चलेगी, राजशाही ठाठ-बाठ नहीं चलेगी, वन विभाग की भूमि खाली करो, फर्जी रिपोर्ट लगाना बंद करो” जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन तेज करेंगे।
गश्त न होने से बढ़े माफियाओं के हौसले
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कोन वन रेंज के अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़े हुए हैं। वन विभाग के किसी भी कर्मचारी द्वारा क्षेत्र में गश्त नहीं की जाती, न ही वन चौकी पर निवास किया जाता है। शिकायत करने पर केवल आश्वासन देकर खानापूर्ति की जाती है, जिससे अवैध खननकर्ताओं और भूमि माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।
मौन सहमति का आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग के अधिकारियों ने माफियाओं को मौन सहमति देकर खुली छूट दे रखी है। कई बार स्थानीय समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों में खबर प्रकाशित होने के बावजूद विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
जांच में फर्जीवाड़े का आरोप
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि लिखित शिकायत के बावजूद जांच अधिकारी घर बैठे ही फर्जी रिपोर्ट तैयार कर माफियाओं को बचा लेते हैं। प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी आदेशों के बावजूद वन विभाग के कर्मचारी मुख्यमंत्री के “जीरो टॉलरेंस” की नीति को ठेंगा दिखा रहे हैं।
प्रभागीय वनाधिकारी का पक्ष नहीं मिला
मामले पर प्रतिक्रिया के लिए कोन वन क्षेत्राधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। अब देखना यह है कि प्रभागीय वनाधिकारी इस गंभीर मामले में क्या कार्रवाई करते हैं या मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
प्रदर्शन में शामिल लोग:
रामचंद्र सिंह, गुडू, राम नेवाज सिंह, हीरा सिंह, बशिष्ठ सिंह, चंद्रिका चेरो, रामबृक्ष सिंह, राजेंद्र सिंह, संतोष सिंह, बालेश्वर सिंह सहित कई स्थानीय लोग इस प्रदर्शन में शामिल रहे।
(रिपोर्टर: सोनभद्र से अमित मिश्रा विशेष संवाददाता)