अमित मिश्रा
O- नव प्रवाह साहित्यिक मंच के कवि सम्मेलन में देशभक्ति, संवेदना और समाज पर हुई भावपूर्ण अभिव्यक्ति
सोनभद्र। नगर के गुलरहवा लोहरा स्थित कवि गोपाल कुशवाहा ‘शिक्षक’ के आवास पर नव प्रवाह साहित्यिक मंच मधुपुर सोनभद्र के तत्वावधान में मंगलवार की देर शाम कवि सम्मेलन एवं शोकसभा का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम कवि गोपाल कुशवाहा के पिताजी स्वर्गीय रामसूरत कुशवाहा की पुण्यतिथि को समर्पित रहा।
इस अवसर पर सोनभद्र, वाराणसी, चंदौली और मीरजापुर जिलों के नामचीन कवि व शायरों ने काव्य पाठ कर साहित्यिक माहौल को भावनाओं और विचारों से सरोबार कर दिया।
श्रद्धांजलि से शुरू हुआ कवि सम्मेलन
कार्यक्रम की शुरुआत श्रद्धांजलि और विचार गोष्ठी से हुई, जिसमें राजाराम सिंह, रामकिसुन यादव, काशी नरेश सिंह और डॉ. छोटेलाल सहित वक्ताओं ने स्वर्गीय रामसूरत कुशवाहा के व्यक्तित्व एवं योगदान पर प्रकाश डाला।
इसके बाद कवि सम्मेलन की शुरुआत डॉ0 छोटेलाल की वंदना
“बाउ से बढ़के कोई ना जहान में”
से हुई, जिसने कार्यक्रम का भावपूर्ण आगाज किया।
कवियों ने दी समरसता और सामाजिक सच्चाई की सीख
मुख्य कवि प्रद्युम्न त्रिपाठी ‘पद्म’ ने शांति और एकता का संदेश देते हुए कहा,
“बंदूक, तोप, खंजर की बात मत करिए,
रहें मिलजुल सभी आदमी बनकर — बंजर की बात मत करिए।”
श्याम सोनभद्री ने कहा,
“सभी जो आदमी हैं, आदमी तो हो नहीं सकते,
तभी हैं आदमी जब आचरण किरदार ज़िंदा है।”
अजय कुमार विमल ने सामाजिक असमानता पर तीखा कटाक्ष किया,
“धनवानों की चौखट पर इंसाफ पड़ा,
मुफ़लिस सिर्फ अदालत दफ्तर करते हैं।”
सोनभद्र की उपेक्षा पर गूंजी आवाज़
यथार्थ विष्णु की पंक्तियाँ श्रोताओं के दिलों में उतर गईं,
“हम जगमग करते हैं सबको, रहते भले अंधेरे में,
नाम हमारा सोनभद्र है, दीपक जैसी हालत है।”
कवयित्री कौशल्या चौहान ने कहा,
“अगर किसी से दगा करोगे, तुझे मोहब्बत नहीं मिलेगी।”
प्रमोद कुमार निर्मल ने मानवीय पीड़ा को दर्शाया,
“चंद सिक्कों के खातिर रस्सी पर टांगी जाती है ज़िंदगी।”
वहीं धर्मेश चौहान एडवोकेट ने दोहों के माध्यम से वर्तमान समाज की विसंगतियों को उजागर किया।
कवियों की उपस्थिति ने बढ़ाया सम्मेलन का गौरव
कार्यक्रम में राजेश कुमार, अशोक प्रियदर्शी एडवोकेट, सुधाकर देशप्रेम, नागेंद्र नाथ, राजकुमार, और अनिल कुमार सहित कई कवियों ने काव्यपाठ किया।
सभा की अध्यक्षता प्रद्युम्न त्रिपाठी ‘पद्म’ ने की जबकि संचालन राहुल सिंह कुशवाहा ने किया।
अंत में संयोजक गोपाल सिंह कुशवाहा ने सभी आगंतुकों एवं कवियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सम्मेलन की समाप्ति की घोषणा की।







