भगवान श्रीकृष्ण का दिव्य चमत्कार : गर्भस्थ जीवन की रक्षा हेतु स्वयं हुए प्रकट

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अमित मिश्रा

O- श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिवस पूज्य आचार्य मनोहर कृष्ण महाराज ने किया उत्तरा प्रसंग, सती चरित्र एवं सृष्टि रहस्य का भावपूर्ण विवेचन

सोनभद्र । श्री राम जानकी मंदिर परिसर (विजयगढ़ पेट्रोल पंप के समीप) में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के द्वितीय दिवस में भक्ति और श्रद्धा का अनूठा संगम देखने को मिला। वृंदावनधाम से पधारे पूज्य कथा व्यास आचार्य श्री मनोहर कृष्ण महाराज ने अपने दिव्य वाणी से श्रोताओं को आत्मा की गहराइयों तक झकझोर देने वाली कथा का रसपान कराया।

इस दिन कथा के केंद्र में था वह अद्भुत प्रसंग, जब भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु के गर्भस्थ पुत्र परीक्षित की रक्षा हेतु स्वयं विराट रूप में उत्तरा के गर्भ में प्रवेश किया। श्री महाराज ने इस प्रसंग का ऐसा जीवंत वर्णन किया कि पूरा वातावरण जय श्रीकृष्ण की गूंज से गुंजायमान हो उठा। उन्होंने कहा, “जब सम्पूर्ण ब्रह्मांड की शक्तियाँ भी असहाय हो जाती हैं, तब स्वयं नारायण अपने भक्तों की रक्षा हेतु अवतरित होते हैं। यह श्रीकृष्ण का करुणामयी रूप है जो हर युग में सत्य और धर्म की रक्षा करता है।”

श्रद्धा बनी माता, विश्वास बने शिव : सती चरित्र ने भावुक किया श्रोताओं को

कथा में आगे चलकर माता सती के पतिव्रता धर्म, मनु महाराज की संतानों की उत्पत्ति, तथा भगवान कपिल और माता देवहूति के बीच संवाद को भी विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया गया। आचार्य श्री ने कहा कि श्रद्धा और विश्वास जब एकत्र होते हैं, तब ही ईश्वर की अनुभूति सम्भव है। उन्होंने माता पार्वती को श्रद्धा और भगवान शिव को विश्वास का प्रतीक बताते हुए कहा कि “सती माता ने पति का अपमान सहन न कर देह का त्याग किया, यह त्याग नहीं बल्कि आत्मबलिदान था—पति धर्म और सम्मान की रक्षा का दिव्य उदाहरण।”

कुंती स्तुति और सृष्टि रहस्य ने किया जनमानस को मंत्रमुग्ध

पूज्य आचार्य ने कुंती स्तुति का अत्यंत मार्मिक वर्णन किया और कहा कि “कुंती जैसी विपत्ति को वरदान मानने वाली नारियाँ ही सच्चे वैदिक आदर्श का स्वरूप हैं।” उन्होंने सृष्टि की उत्पत्ति, प्रलय, तथा पुरुष और प्रकृति के शाश्वत संवाद को शास्त्रीय दृष्टिकोण से सरल भाषा में श्रोताओं के समक्ष रखा।

भक्तों की उपस्थिति में गूंजा धर्म-रथ

कथा स्थल पर श्रद्धालु भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही। धर्म, भक्ति और शांति की अनुभूति करते हुए उपस्थित रहे प्रमुख श्रद्धालुओं में ओमप्रकाश पाठक, महेंद्र प्रसाद शुक्ला, आशुतोष पाठक, अजीत शुक्ला, प्रेमकांत, नितेश सिंह, बीरबल गुप्ता आदि गणमान्य जनों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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