प्रस्तावित वन नेशन वन इलेक्शन की नियमावली में कुछ बिन्दुओ पर संशोधन की जरूरत:एडवोकेट सन्तोष पटेल

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अमित मिश्रा

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री , विधि मंत्री सहित नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को लिखा पत्र

सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। प्रस्तावित वन नेशन वन इलेक्शन की नियमावली में कुछ बिन्दुओ पर संशोधन को लेकर अपना दल एस विधि प्रकोष्ठ के सदस्य एडवोकेट संतोष सिंह पटेल ने राष्ट्रपति को  पत्र लिख कर मांग किया है कि लोकतंत्र में उप चुनाव एवं मध्यावधि चुनाव की वर्तमान व्यवस्था से देश का प्रत्येक नागरिक परिचित है। ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक बीच कार्यकाल में कुछ सीटों के रिक्त होने पर शेष कार्यकाल के लिए चुनाव कराया जाता है। जबकि बीच कार्यकाल में पूरी सरकार के गिर जाने की स्थिति में मध्यावधि चुनाव संपादित कराया जाता है। जिसका कार्यकाल शेष कार्यकाल न होकर पुनः एक नए कार्यकाल के लिए होता है। जिससे की तमाम समस्याओं का जन्म होता है। जिससे देश को बचाने की पवित्र भावना के साथ ही ‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘ की परिकल्पना देश हित में की जा रही है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि समस्याओं व आशंकाओं का समाधान किया जाय।

राष्ट्रपति को लिखे पत्र में एडवोकेट सन्तोष पटेल ने कहा है कि इन दिनों पूरे देश में ‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘  देश में किसी भी स्तर पर बार- बार (गांव की पंचायत से लेकर देश की पंचायत तक का) कोई भी आम चुनाव होने पर अत्यधिक धन खर्च, अत्यधिक समय का अपव्यय, अत्यधिक मानव श्रम का अपव्यय, जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अवरोध, सरकारी कार्यों में अत्यधिक व्यवधान इत्यादि। जिससे बचने हेतु ‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘ को लागू किया जाना ही सबसे सटीक व अचूक उपाय के रूप में देखा जा रहा है।

वन नेशन वन इलेक्शन के तहत गांव की पंचायत से लेकर देश की पंचायत तक का एक साथ चुनाव होने पर उक्त अनेक अनावश्यक समस्याओं से देश की आम जनता को सहजता से निजात प्रदान किया जा सकता है। किंतु यहां एक सबसे बड़ी व स्वाभावविक समस्या यह है कि एक साथ चुनाव संपन्न होने के बाद यदि किसी स्तर पर कोई सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही किन्ही परिस्थितियों में अल्पमत में आ जाती है या गिर जाती है तो क्या होगा ,इस पर संसद को विचार करना चाहिए।

अगर कोई सरकार अल्पमत में आ जाने या सरकार के गिर जाने के उपरांत की स्थिति पर आम जनमानस में यह भ्रांति तेजी से फैल रही है कि तत्कालीन समय में जो भी केंद्र की सरकार होगी वह ‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘ के पंचवर्षीय कैलेण्डर का सहारा लेकर मनमानी तरीके से पांच वर्ष तक अपना कार्यकाल पूरा करने के लिए तानाशाही रवैया अपना लेगी। इतना ही नहीं किसी भी राज्य में विपक्षी पार्टियों की चुनी हुयी सरकारों को एन-केन-प्रकारेण गिराकर अपने चहेते प्रशासकों की मदद से केंद्र की सरकार राज्य की सरकारों का शेष कार्यकाल अपने मनमाफिक संचालित कराने का भरसक प्रयास कर सकती है। जो कि ‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘ की पवित्र भावना का सीधे- सीधे हत्या करना जैसा होगा। जिससे बचाव का एक महत्वपूर्ण समाधान के रूप में अग्रलिखित उपाय को अपनाया जाना एक श्रेयष्कर विकल्प माना जा सकता है।

‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘ की पवित्र भावना एवं स्वस्थ नीयत का परिचय इस बात से दिया सकता है। उपचुनाव एवं मध्यावधि चुनाव की वर्तमान व्यवस्था से प्रत्येक नागरिक परिचित है कि बीच कार्यकाल में कुछ सीटों के रिक्त होने पर शेष कार्यकाल हेतु चुनाव कराया जाता है। जबकि बीच कार्यकाल में पूरी सरकार के गिर जाने की स्थिति में मध्यावधि चुनाव संपादित कराया जाता है। जिसका कार्यकाल शेष अवधि न होकर पुनः एक नए कार्यकाल के लिए होता है।
किसी सरकार में कुछ सीटों के रिक्त हो जाने की स्थिति में उपचुनाव का वर्तमान रास्ता बिल्कुल सटीक व सही है। इसमें किसी संशोधन की कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। इस प्राॅविधान को ‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘ में भी अक्षरशः प्रतिस्थापित किया जा सकता है। किंतु किसी भी सरकार या सरकारों के गिर जाने की स्थिति में मध्यावधि चुनाव की वर्तमान व्यवस्था को ‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘ की नयी चुनावी व्यवस्था में ही आवश्यक संशोधन व परिवर्तन की जरूरत है। वर्तमान मध्यावधि चुनावी परिभाषा को ‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘ की नियमावली में जोड़ते समय वर्तमान उपचुनाव की वर्तमान परिभाषा के साथ मिश्रित किए जाने की जरूरत है। अर्थात् जिस तरह से उपचुनाव शेष कार्यकाल के लिए होता है, उसी तर्ज पर ठीक उसी तरह से मध्यावधि चुनाव भी शेष कार्यकाल के लिए ही किया जाना सबसे सटीक व अचूक समाधात्मक उपाय इस बात का है कि ‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘ की भावना कदापि आहत नहीं होगी और पूरे देश में एक साथ सारे चुनाव एक बार में ही संपादित हो जाने से तमाम समस्याओं का अंत एक साथ ही हो सकेगा। इस प्रकार ‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘ की पवित्रता स्वतः ही देश हित में अपनी अग्रणी भूमिका के साथ अपनी अक्षुणतामय अपनी आभा बिखेरते हुए विश्व पटल पर भारत देश को महिमामंडित कर सकेगी।

वन नेशन वन इलेक्शन की पवित्रता को देश हित में बरकरार रखने के लिए उपचुनाव की वर्तमान व्यवस्था/ परिभाषा को मध्यावधि चुनाव की वर्तमान व्यस्था के साथ मिश्रणोपरांत ही ‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘ की पवित्र नियमावली/ अधिसूचना जारी किए जाने का देशहित में आदेश पारित किया जाना नितांत आवश्यक प्रतीत होता है। जिससे कि भारत देश ‘‘वन नेशन वन इलेक्शन‘‘ को आत्मसात कर अपनी अक्षुणता के साथ नागरिकों के आभा मंडल को विश्व पटल पर महिमामंडित कर सके।

एडवोकेट सन्तोष पटेल ने राष्ट्रपति के साथ ही प्रधानमंत्री , नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, देश के विधि मंत्री को भी पत्र लिख कर इन बिंदुओं पर विचार करने का आग्रह किया है।

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