



आचार्य पं0 सुशील तिवारी

सोनभद्र। चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत 30 मार्च से हो रही है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। नवरात्रि में व्रत रखने और पूजा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं नवरात्रि पूजा की विधि, मंत्र और तिथियों के बारे में।
नवरात्रि 2025 की तिथियां
- प्रतिपदा (कलश स्थापना) – [30मार्च प्रातः काल से माध्यन 2:14 बजे तक किया जा सकेगा]
- द्वितीया – [31मार्च]
- तृतीया – [01अप्रैल]
- चतुर्थी / पंचमी – [02अप्रैल]
- षष्ठी – [03अप्रैल]
- सप्तमी – [04अप्रैल]
- अष्टमी – [05अप्रैल] (महाअष्टमी पूजन, कन्या पूजन)
- नवमी – [06अप्रैल] (राम नवमी उत्सव)
- दशमी – [07अप्रैल] (व्रत पारण)
पूजा विधि
- कलश स्थापना – नवरात्रि के पहले दिन प्रातःकाल शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें।
- मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उनको लाल चुनरी अर्पित करें।
- दीप जलाएं और दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करें।
- नैवेद्य अर्पित करें – फल, मिठाई, पंचामृत और नारियल चढ़ाएं।
- घंटा और शंख बजाकर मां की आरती करें।
- नवरात्रि व्रत का पालन करें – श्रद्धानुसार फलाहार या सात्विक भोजन करें।
- अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन करें – नौ कन्याओं को भोजन कराकर आशीर्वाद लें।
महत्वपूर्ण मंत्र
- मां दुर्गा ध्यान मंत्र:
“या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥” - महाकाली मंत्र:
“ॐ क्रीं कालिकायै नमः॥” - महालक्ष्मी मंत्र:
“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः॥” - महासरस्वती मंत्र:
“ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः॥”
कैसे करें कन्या पूजन?
नवरात्रि के अंतिम दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इसमें नौ कन्याओं को आमंत्रित कर उनके पैर धोकर भोजन कराया जाता है और दक्षिणा दी जाती है।
क्या है नवरात्रि का महत्व?
नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा के नौ रूपों की साधना के लिए मनाया जाता है। यह शक्ति और भक्ति का प्रतीक है। इस दौरान भक्त व्रत रखकर मां की कृपा प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
(सटीक तिथि और पूजा का मुहूर्त जानने के लिए अपने पंडित आचार्य पं0 सुशील तिवारी से 9453921599 से परामर्श लें)