नवीन कुमार
विण्ढमगंज–कोन सड़क बनी जनता की सजा, अधिवक्ताओं का फूटा गुस्सा
कोन(सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)। वर्ष 2047 तक विकसित भारत व विकसित उत्तर प्रदेश बनाने के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार जनता से सुझाव मांग रही मगर विकास के नाम पर योजनाएं भले ही कागजो पर चल रही हो लेकिन जमीनी हकीकत झारखण्ड राज्य को जोड़ने वाली विन्ढमगंज से कोन होते हुए तेलगुड़वा तक की सड़क पर बने गड्ढों में साफ दिखाई दे रही है। यह दोनो सड़क इतनी बदहाल हो चुकी है कि लोगों ने इसे “गड्ढों की गैलरी” और “मौत का रास्ता” तक कहना शुरू कर दिया है।
तहसील दिवस में क्षेत्र के दर्जनों अधिवक्ताओं ने इस सड़क की दुर्दशा पर तीखी नाराज़गी जताते हुए ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि इस मार्ग से रोजाना सैकड़ों लोग आवागमन करते हैं, पर सड़क की हालत ऐसी है कि सफर करना खुद को खतरे में डालने जैसा हो गया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि “विण्ढमगंज–कोन–तिलगुड़वा सड़क” अब दुनिया की सबसे अधिक गड्ढायुक्त, धूल उड़ाने वाली, पेट्रोल-डीजल खपाने वाली और वाहन तोड़ने वाली सड़क बन चुकी है। दर्जनों स्थानों पर बड़े-बड़े गड्ढों के कारण कई जानें भी जा चुकी हैं। हर्रा और विन्ढमगंज जंगल के पास हाल के हादसे इस सच्चाई के गवाह हैं।
अधिवक्ताओं ने प्रशासन से यह भी मांग की है कि तिलगुड़वा से कोन तक बन रही नई सड़क की गुणवत्ता, बजट, सामग्री और मानक की जानकारी सार्वजनिक की जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे और भविष्य में “कागज़ी विकास” नहीं बल्कि टिकाऊ सड़क जनता को मिले।
ज्ञापन देने वालों में विनोद महाजन, विनय कनौजिया, प्रभास पांडे, हरिशंकर यादव, कृष्ण कुमार, प्रदीप कुमार, रसीद अहमद सहित कई अधिवक्ता शामिल रहे। सभी ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र सड़क सुधार कार्य नहीं हुआ तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।







