अमित मिश्रा
ग्रामीणों ने अपर जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। जनपद में चकबन्दी प्रक्रिया को लेकर घोरावल तहसील के भैसवार गांव में महीनों से चले रहे विरोध को जिला प्रशासन अभी पूरी तरह से हल नही कर सकी है तो वही गुरुवार को सदर तहसील के ग्राम पंचायत मारकुण्डी के ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों ने चकबन्दी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए ग्राम प्रधान ऊधम सिंह यादव के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया। इस दौरान ग्रामीणों ने एडीएम (न्यायिक) को ज्ञापन सौंपते हुए मांग किया कि चकबन्दी कार्यवाही को पारदर्शी बनाया जाए और अब तक हुई कार्रवाई के अभिलेखों को सार्वजनिक किया जाए।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि चकबन्दी विभाग द्वारा खतौनी, वरासत व नामान्तरण जैसी कार्यवाहियों में मनमाने तरीके से रुपये की वसूली की जा रही है। बताया कि खतौनी लेने के लिए 500 से 1000 रुपये और वरासत एवं दाखिल-खारिज के नाम पर 10 से 12 हजार रुपये तक की मांग की जा रही है। विरोध करने पर अधिकारियों द्वारा जहां शिकायत करनी हो करो जैसी बातें कही जा रही हैं।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि चकबन्दी के दौरान नाप-जोख की प्रक्रिया पारंपरिक व गैर-वैज्ञानिक तरीके से की जा रही है। जहां जंजीर से भूमि की नाप की जानी चाहिए, वहां अहलकार पैरों से नाप कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह प्रक्रिया चकबन्दी की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करती है।
उन्होंने बताया कि अब तक हुई चकबन्दी कार्यवाही से संबंधित अभिलेख न तो ग्रामवासियों के साथ साझा किए गए हैं और न ही भूमि की शिनाख्त कराई गई है। यहां तक कि सरकारी विभागों, तालाब, पहाड़, नदी, बांध और परती भूमि की शिनाख्त भी नहीं कराई गई है, जिससे गांव की भौगोलिक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि कई बार विभाग को इस संबंध में अवगत कराया गया, पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अंततः विवश होकर ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि चकबन्दी प्रक्रिया में व्याप्त अनियमितताओं की जांच कर पारदर्शी तरीके से चकबन्दी कार्यवाही कराई जाए तथा अब तक हुए कार्यों के अभिलेख ग्राम पंचायत में खुली बैठक में साझा किए जाएं।
इस प्रदर्शन मे तिलकधारी, छोटेलाल, दीपक,शंकर, लालधारी, रामसूरत, ललिता, सुशीला, सीता, आरती, पूनम शांति सहित सैकड़ो ग्रामीण मौजूद रहे।







