शहीदों की धरती पर गूंजा वंदेमातरम्, कवियों की राष्ट्रभक्ति से महक उठा करारी

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अमित मिश्रा

सोनभद्र । करारी शहीद स्मारक की स्थापना वर्षगांठ पर सोमवार दो जून को राष्ट्रभक्ति का अनूठा संगम देखने को मिला। कार्यक्रम की शुरुआत शहीद स्थल पर झंडारोहण और माल्यार्पण से हुई, जहां शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमाओं पर दीपदान एवं माल्यार्पण संरक्षक रामयश त्रिपाठी द्वारा किया गया।

इसके पश्चात आयोजित “वंदेमातरम् काव्य गोष्ठी” में जब कवि प्रदुम्न त्रिपाठी ने पढ़ा “लहरत रहै तिरंगा नभ में सबकर ई अरमान बा, वंदेमातरम गीत सुहावन पावन हिंदुस्तान बा”, तो माहौल राष्ट्रभक्ति से सराबोर हो गया।

चंदौली से पधारे कवि शिवदास की पंक्तियाँ “वंदेमातरम गावै सेन्हुर, इहां सोहागिनि लुटावै सेन्हुर” ने श्रोताओं में गतिशील ऊर्जा भर दी।
वाराणसी के कवि रामनरेश पाल ने “खेत किसान सिवान हौ माटी, वीरन के खलिहान हौ माटी” से खूब तालियाँ बटोरीं।

कवि दिवाकर दिवेदी ‘मेघ’ ने अपनी रचना “दे कुरबानी मिलल अजादी परिपाटी बलिदान के” के जरिए वीरता को नमन किया।
एडवोकेट धर्मेश चौहान की आवाज में “बाल पाल और लाल के धरती बोस भगत के पानी हौ” ने श्रोताओं को झकझोर दिया।

दयालू दयानंद की रचना “वंदेमातरम के नारा हम सौ सौ बार लगाइब” ने सभा को भावविभोर कर दिया।
शायर अशोक तिवारी ने “तिरंगा हिंद की पहचान है, शेखर शिवा बिस्मिल का गान है” से मंच का संचालन किया।

प्रभात सिंह चंदेल और दिलीप सिंह दीपक की देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं ने महफिल को ऊर्जावान बनाए रखा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रामयश त्रिपाठी ने राष्ट्रीय चिंतन पर प्रकाश डालते हुए 2 जून के डाला गोलीकांड में शहीद हुए श्रमिकों को श्रद्धांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का समापन किया।

इस अवसर पर रिषभ, मृत्युंजय, शिखा ठाकुर, गणेश, बलिराम, आद्या, अंशिका, हर्ष चौहान, पुरुषोत्तम कुशवाहा, शिवमोचन, अनीशा चौहान, फारुक अली, हाश्मी प्रधान, संगीता तिवारी सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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