वन विभाग पुलिस के उत्पीड़न से त्रस्त आदिवासियों ने किया प्रदर्शन

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अमित मिश्रा

0 10 सूत्री मांगों को लेकर राष्ट्रपति प्रणामी पत्र सौपा

0 कलेक्ट्रेट में विरोध प्रदर्शन कर आधे दर्जन गांवों के ग्रामीणों ने बुलंद की आवाज

सोनभद्र। कलेक्ट्रेट परिसर में आदिवासी आजादी मोर्चा के बैनर तले माची, सुअरसोत,सियरिया, तेदुडाही, देवहार, डोरिया के आदिवासी जनजाति वन विभाग व पुलिस के उत्पीड़न के खिलाफ कलेक्ट्रेट पर मंगलवार को विरोध प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति नामित 10 सूत्री मांग पत्र सम्बंधित को दिया।
वही नेतृत्व कर रहे भुवनेश्वर कुमार ने बताया कि
हम आदिवासी जनजाति तथा अन्य पिछड़े समुदाय के जनपद सोनभद्र (उ०प्र०) के लोग जो कभी नक्सल प्रभावित जनपद हुआ करता था, के जंगली पहाड़ी अत्यन्त दुर्गम तथा पिछड़े इलाके में स्थानीय प्रशासन, शासन एवं सरकारी प्राधिकरणों द्वारा उपेक्षित तथा वन विभाग और पुलिस उत्पीड़न से त्रस्त हैं, जो आए दिनों हम आदिवासियों जनजातियों को हमारी गरीबी एवं अशिक्षा का लाभ उठाते हुए भू-माफियाओं तथा सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों के उत्पीडन, शोषण च दोहन का शिकार होते रहें है हमारे लिए तमाम कल्याणकारी कानून बनाए गये, लेकिन उसका गलत उपयोग करते हुए हमारा शोषण उत्पीड़न दोहन व आदिवासियों के अधिकारों व मानव अधिकारों का हनन व दस्तूर जारी रहा है। आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासी, सामान्य व पिछड़ी जातियों के हक के अन्तरण उ०प्र०. जमींदारी विनाश अधिनियम 1950 एवं अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की व्यवस्था के विरूद्ध है के बावजूद आदिवासियों की भूमि का अन्तरण अवैध रूप से करा लिया जा रहा है। सूचना होने पर स्थानीय पुलिस को रिपोर्ट दर्ज कर कानूनी कार्यवाही के लिए अनुरोध करने वाले पीड़ित को ही भू-माफियाओं की मिली भगत से फर्जी मुकदमें में फंसा दिया जा रहा है। हम आदिवासी कोई भी विधि सम्मत कार्यक्रम, जागरूकता अभियान, गोष्ठी का आयोजन करते है, तो भी हम स्थानीय प्रशासन के उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। देश भर में वनाधिकार अधिनियम का कारण लागू हुआ। जिसमें भी नाम मात्र का कार्य हुआ सम्पन्न लोगों को वन भूमि नाजायज ढ़ग से उच्च वर्गों के लोगों को वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी नाजायज लाभ लेकर दे दिया जा रहा है। वनाधिकार कानून के अनुसार वन क्षेत्रों में निवास करने वाली जनजातियों आदिवासियों को अग्रिम पंक्ति में रखते हुए वनाधिकार का पट्टा दिए जाने की प्राविधान रहा है साथ ही अन्य परम्परागत वनवासी जो पीढ़ियों से वन में निवास करते चले आ रहें हैं। उनके भी वनाधिकार कानून के तहत वन भूमि पर जोत कोड करने हेतु वन भूमि का पट्टा करने का प्रावधान रहा है। परन्तु उन्हे भी वंचित किया जा रहा है। हम सोनभद्र के आदिवासी इससे वंचित है। आज भी भूमिहीन आदिवासियों जन-जातियों की एक बड़ी संख्या है जो वनाधिकार पट्टा के प्रबल दावेदार व पात्र होने के बावजूद वंचित किये गये है। स्थानीय वन विभाग के अधिकारीयों एवं कर्मचारियों की प्रवृति बनी हुई है कि, वनाधिकार प्रवाधान को मात्र एक कानूनी खाना पूर्ति कर भू-माफियों से नाजायज लाभ उठाकर वन भूमियों को उन्हें सौंपा जा रहा है। हमारे जनपद सोनभद्र के आदिवासी इलाको में वन विभाग के लोग आदिवासियों की खतौनी भूमियों को भी जबरिया अवैध कब्जा कर खुदाई कराकर उनके वृक्षारोपण कर नाजायज ढ़ग से बेदखली करती रही है। हम सभी इस जुल्म से त्रस्त होकर जरिए जिलाधिकारी सोनभद्र (उ०प्र०) आपके समक्ष निम्न मांगे रखते हुए सादर अनुरोध करते हुए कि गंभीरता पूर्ण विचार कर त्वरित कदम उठाए जाने की आज्ञा प्रदान करें । इस दौरान भुवनेश्वर कुमार दुलारे, रामपुनि, अयोध्या, चंदन, कांता, गीता गौर, गंगा प्रशाद, रामरती, जवाहिर, सविता, सोनी, प्रमिला, रामजतन आदि लोग मौजूद रहे।

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