खबर का असर : सोलर पंप  घोटाले में कार्यवाही से बचने का प्रयास, ब्लॉक प्रमुख व अधिकारियों ने रुकवाया कार्य

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नवीन कुमार


“न्यूज एक्सप्रेस भारत की खबर का असर, गड़बड़ी उजागर होने पर अधिकारियों ने दिए जांच के आदेश”

कोन (सोनभद्र): ग्राम पंचायत बरवाखाड़ में सोलर पंप की स्थापना में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां बिना सोलर पंप लगाए ही भुगतान कर दिया गया। इस घोटाले को लेकर न्यूज एक्सप्रेस भारत में 18 मार्च को “सोलर पंप लगाया नहीं, फिर भी हो गया भुगतान” शीर्षक से खबर प्रकाशित होने के बाद संबंधित विभाग में हड़कंप मच गया।

मामले को दबाने और कार्यवाही से बचने के लिए ग्राम विकास अधिकारी ने आनन-फानन में पुराने सोलर पंप को लगवाने की कोशिश की। हालांकि, न्यूज एक्सप्रेस भारत की खबर का असर यह हुआ कि जिला पंचायत राज अधिकारी के निर्देश पर मौके पर पहुंचे सहायक विकास अधिकारी पंचायत, ब्लॉक प्रमुख और ग्राम प्रधान ने मौके पर ही इस कार्य को रोक दिया और नया सोलर पंप लगाने का निर्देश दिया।

घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश

न्यूज एक्सप्रेस भारत में खबर प्रकाशित होने के बाद ग्राम विकास अधिकारी ने फौरन पुराने सोलर पंप को लगवाने का प्रयास किया, ताकि जांच के दौरान यह दिखाया जा सके कि पंप पहले ही लगाया जा चुका था। लेकिन जिला पंचायत राज अधिकारी को जैसे ही मामले की जानकारी मिली, उन्होंने सहायक विकास अधिकारी पंचायत सुनील पाल को मौके पर भेजा। उनके साथ ब्लॉक प्रमुख और ग्राम प्रधान रुकमुद्दीन भी पहुंचे। जब अधिकारियों ने निरीक्षण किया तो पाया कि वहां पुराना सोलर पंप लगाया जा रहा था। मौके पर ही अधिकारियों ने इसे रुकवा दिया और निर्देश दिया कि नया पंप ही लगाया जाए।

जियो ट्रैकिंग में गड़बड़ी का खेल

इस पूरे मामले ने सरकारी योजनाओं में हो रही धांधली और जियो ट्रैकिंग प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। वर्तमान में सरकारी कार्यों में भुगतान के लिए जियो ट्रैकिंग प्रणाली का उपयोग किया जाता है। इसके तहत- कार्यस्थल पर मोबाइल से लोकेशन और काम की तस्वीरें अपलोड की जाती हैं।

सामग्री जैसे पाइप, केबल, पैनल आदि की लंबाई-चौड़ाई की माप अवर अभियंता (जेई) द्वारा की जाती है।

माप पुस्तिका (एमबी) के अनुसार ही भुगतान किया जाता है।

लेकिन इस मामले में बिना सोलर पंप लगाए ही पूरी प्रक्रिया पूरी कर ली गई और भुगतान भी कर दिया गया। इससे साफ है कि या तो फर्जी लोकेशन अपलोड की गई थी या फिर अधिकारी और ठेकेदार की मिलीभगत से बिना कार्य किए ही भुगतान पास करा लिया गया।

व्यापक स्तर पर हो सकती है गड़बड़ी

यह मामला सिर्फ एक सोलर पंप तक ही सीमित नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कोन ब्लॉक में कई अन्य विकास कार्यों में भी इसी तरह फर्जी जियो ट्रैकिंग कर भुगतान किया जा रहा है। यदि गहनता से जांच की जाए, तो करोड़ों रुपये के सरकारी धन के दुरुपयोग का पर्दाफाश हो सकता है।

पंचायत में पहले भी हो चुकी हैं गड़बड़ियां

अधिकारियों ने दिए जांच के आदेश

न्यूज़ एक्सप्रेस भारत की खबर के बाद प्रशासन ने पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। यदि निष्पक्ष जांच होती है, तो इसमें शामिल अधिकारी, कर्मचारी और ठेकेदारों पर कार्रवाई होना तय है। इसके अलावा, जियो ट्रैकिंग प्रणाली में भी सुधार की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी धांधली को रोका जा सके।

ग्रामीणों ने की निष्पक्ष जांच की मांग

ग्रामवासियों ने प्रशासन से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि सही तरीके से जांच हो, तो पंचायत में हो रहे अन्य फर्जी कार्य भी उजागर होंगे। ग्रामीणों ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में सरकारी धन का दुरुपयोग न हो सके।

इस पूरे प्रकरण ने पंचायतों में चल रही भ्रष्टाचार की जड़ों को उजागर कर दिया है। फर्जी जियो ट्रैकिंग कर बिना काम किए ही भुगतान जैसी घटनाएं यह दिखाती हैं कि सरकारी योजनाओं में किस तरह की लापरवाही और भ्रष्टाचार हो रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी सख्ती से जांच करता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।

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