श्रीमद्भागवत कथा में हुआ महारास का मनोहारी वर्णन, झांकियों के दर्शन से श्रद्धालु हुए भावविभोर

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अमित मिश्रा

सोनभद्र। स्थानीय श्री राम जानकी मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव के छठवें दिन कथा वाचक वृंदावन से पधारे श्रीमन विकास आचार्य मनोहर कृष्ण महाराज ने महारास लीला का अत्यंत भावपूर्ण एवं विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने बताया कि महारास का उद्देश्य भगवान के साक्षात दर्शन कराना और भक्तों संग उनकी लीलाओं का अनुभव कराना है।

कथा के दौरान उन्होंने बताया कि ब्रज की गोपियां सोचने लगीं कि क्या भगवान कृष्ण केवल यशोदा मैया के कहने पर ही नृत्य करेंगे? लेकिन भगवान तो अपने भक्तों की भावनाओं को पूर्ण करने वाले हैं। इसी भावना से भगवान श्रीकृष्ण ने आश्विन पूर्णिमा की रात्रि में ब्रज में महारास का दिव्य आयोजन किया, जिससे समस्त श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।

कथा क्रम में आगे बढ़ते हुए उन्होंने अक्रूर द्वारा श्रीकृष्ण को मथुरा ले जाने, राक्षसों के उद्धार, कंस वध, गुरुकुल में संदीपनि मुनि के आश्रम में शिक्षा प्राप्त करना, तथा सुदामा संग मित्रता जैसे प्रसंगों का सजीव वर्णन किया। कथा में द्वारिकापुरी के निर्माण तथा भगवान कृष्ण व माता रुक्मिणी के भव्य विवाह की झांकी ने श्रद्धालुओं को भावमय कर दिया।

इस अवसर पर मंदिर प्रांगण में सजाई गई भव्य झांकियों के दर्शन कर श्रद्धालु भक्ति भाव से सराबोर हो गए। दर्शन करने वालों में ओम प्रकाश पाठक, महेंद्र प्रसाद शुक्ला, आशुतोष पाठक, कामता प्रसाद द्विवेदी, मारकंडे राम पाठक, अजीत शुक्ला, मुरलीधर शुक्ला, नितेश सिंह, प्रदीप चौरसिया, नरेंद्र कुमार पाठक, लक्ष्मीनारायण चौरसिया, सत्यनारायण चौरसिया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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