अमित मिश्रा
जिले में बहनों ने मनाया भैया दूज का पर्व रखा व्रत
0- बहनों ने व्रत रखकर की भाइयों की दीर्घायु की कामना
0- गाय के गोबर से बनाई गई विविध आकृतियां
0- बहनों ने किया लोकगीत, लोक कथाओं का गायन और वाचन
0- बहनों ने चना, मिठाई खिलाकर भाईयो के दीर्घायु होने की किया प्रार्थना
रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र) । कार्तिक शुक्ल द्वितीया को स्त्रियों द्वारा भैया दूज का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर बहनों ने अपने भाई के लिए व्रत रखा और सार्वजनिक का स्थान, आंगन, पोखरा, तालाब, नदी के किनारे खुले स्थान पर गोबर से जमीन पर अलंकरण बनाया, इस अलंकरण में मुख्य रूप से गोदना और उसके पुत्र की आकृति होती है, इन चित्रों में गोवर्धन भगवान, गोपिया, नारायण, सूरज, चांद अन्य प्राकृतिक दृश्य स्त्रियां गोबर से करती है इसके साथ-साथ चौकीदार, ओखली मे गोबर से बने एक अलंकृत चौकियां बनाई जाती है जो सफेद रूई तथा सिंदूर से बनता है।
इससे संबंधित हैं, लोकगीत गाती हैं और एक विचित्र परंपरा है कि अपने प्रिय को सकती हैं भैया खाऊं आदि गालियां देती है।
साहित्यकार प्रतिभा देवी ने बताया कि इस दिन जिसको जितना सरापा जाएगा उसकी उतनी ही उम्रअधिक होगी वह अपने भाइयों का नाम लेकर उनके चिरायु होने तथा भाभी के सौभाग्य की कामना करती हैं, अलंकरण के मध्य में एक मूर्ति बनाती हैं,इसे गोधन कहते हैं, गोदना बनाने से जो गोबर बच जाता है उसे सभी बांट दिया जाता है स्त्रियां उस गोबर का गोल गोल पिंड बनाकर अपने घर ले जाती हैं तथा अनाज भंडार में उसे रखी है ऐसी मान्यता है कि इससे अनाज बढ़ता है, खराब नहीं होता। इस पर्व पर अनेकों प्रकार की लोक कथाएं लोकगीत कहने, गाने की परंपरा है।
भैयादूज की पूजा जिला मुख्यालय सहित अनपरा, औड़ी, डिबुलगंज, ककरी, बीना, खडिय़ा, शक्तिनगर, सिंगरौली, परासी, अनपरा गांव, गरबंधा, रेनूसागर आदि स्थानों बहनों ने आटे से चौक बनाकर, भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाकर पान, सुपारी, पुष्प आदि हाथों पर रखकर जल गिराना व भाई की आरती उतारने के साथ अपने-अपने भाइयों की लंबी आयु व उनके स्वास्थ्य की मंगल कामना का व्रत रखी। बहनों ने अपने भाई को मान्यता के अनुसार भोजन भी कराया। भाइयों ने भी बहनों को मिठाई खिलाकर बहनों का मुंह मीठा कराया तथा छोटे-बड़े के अनुसार आशीर्वाद लिया।