मां की कसम उर्फ डाकू सोना सिंह नाटक का हुआ मंचन

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वीरेन्द्र कुमार

“मां की कसम” नाटक ने रुलाया भी, सोचने पर भी मजबूर किया

विंढमगंज(सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)। श्री शंकर झंकार नाट्य कला मंच महुली महुअरिया में चल रहे नाट्य समारोह के चौथे दिन शुक्रवार की रात “मां की कसम उर्फ डाकू सोना सिंह” नाटक का भव्य मंचन हुआ। यह नाटक समाज में व्याप्त अन्याय, शोषण और प्रतिशोध की एक मार्मिक गाथा के रूप में मंच पर जीवंत हो उठा, जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।

नाटक की कहानी में धर्मेंद्र नाम का एक अय्याश जमींदार दिखाया गया, जिसका किरदार अवधेश कुमार शर्मा ने बखूबी निभाया। धर्मेंद्र की अय्याशी और अत्याचार से गांव त्रस्त रहता है। उसका नौकर धर्मु उर्फ धर्मजीत (जसवंत शर्मा) हर आदेश पर सिर झुकाता है, जबकि उसकी बहन पूजा (सरला का किरदार) संवेदना और इंसानियत का प्रतीक बनी रहती है।गांव की एक गरीब महिला शांति (जोगेंद्र सिंह) अपने बेटे सोनू (कयामुद्दीन) और बेटी सरला (अंकित शर्मा) के साथ अन्याय के खिलाफ आवाज उठाती है। धर्मेंद्र के जुल्मों से त्रस्त सोनू जब अपनी बहन की इज्जत पर खतरा देखता है, तो वह प्रतिशोध की राह पकड़ लेता है।मां की कसम खाकर वह “डाकू सोना सिंह” बन जाता है — एक ऐसा डाकू जो सिर्फ अत्याचार के खिलाफ लड़ता है और समाज में न्याय का संदेश छोड़ जाता है।

नाटक के अंत में डाकू सोना सिंह अपनी मां की कसम निभाते हुए धर्मेंद्र के अत्याचार का अंत करता है। मंच पर जब बदले का यह दृश्य आया तो तालियों की गड़गड़ाहट से पंडाल गूंज उठा।मुख्य कलाकारों में अवधेश कुमार शर्मा, जसवंत शर्मा, जोगेंद्र सिंह, क्लामुदीन, विक्की शर्मा, नयूम खा, अंकित, अब्दुल कलाम और शिवदास शर्मा ने अपने शानदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष अरविंद जायसवाल, उपाध्यक्ष सेकरार अहमद (जिला उपाध्यक्ष बसपा), प्रबंधक प्रदीप जायसवाल, भगवानदास कन्नौजिया, राजेश शर्मा, चंद्र प्रकाश प्रजापति (पूर्व ग्राम प्रधान महुली) सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। वही पंडाल दर्शकों से खचाखच भरा रहा और हर संवाद पर तालियां गूंजती रही।

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