अमित मिश्रा
O- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा गया पत्र, पूर्वांचल नव निर्माण किसान मंच ने जताई चिंता , खेतों में सड़ रही बासमती की फसल, किसानों की टूटी उम्मीदें
सोनभद्र । लगातार हुई भारी बारिश और मोथा तूफान के कारण सोनभद्र जनपद के किसानों की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। खेतों में खड़ी बासमती और धान की फसलें कटने के बाद पानी में सड़ने लगी हैं, जिससे किसानों की मेहनत और उम्मीद दोनों मिट्टी में मिल गईं।
रविवार को पूर्वांचल नव निर्माण किसान मंच के नेता गिरीश पाण्डेय ने घोरावल विकास खंड के दर्जनों गांवों का दौरा कर हालात का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि हरिहरपुर, ओडौली, इनम, कुसरठ, उमरी, नरैना, दुरावल कला, दुरावल खुर्द, लसडी, चौकड़ा और मसोई गांवों में किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है।
गिरीश पाण्डेय ने कहा कि हरिहरपुर गांव के किसान अमरेश चंद्र शुक्ला और सुरेश चंद्र शुक्ला के सौ बीघे से अधिक बासमती धान की फसल कटने के बाद खेतों में भरे पानी के कारण सड़ चुकी है और अब उसमें अंकुर भी फूटने लगे हैं।
इसी तरह ओडौली गांव के विजेंद्र सिंह और लालवर्ती सिंह पटेल की पूरी फसल जलमग्न होकर नष्ट हो गई है।
लसडी गांव के प्रधान राजेश सिंह और कमला सिंह ने बताया कि गांव के लगभग 40 प्रतिशत किसानों की फसलें पानी में डूबी हुई हैं। चौकड़ा गांव के किसान बच्चा सिंह की फसल भी बर्बाद हो चुकी है।
किसान नेता ने कहा कि किसानों में पहले जहां भरपूर उपज की उम्मीद थी, वहीं अब हताशा और निराशा का माहौल है। फसलों के साथ-साथ पशुओं के चारे की किल्लत और रबी फसल की बुआई को लेकर अनिश्चितता ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। साथ ही, बैंक और कोऑपरेटिव कर्ज की चिंता ने उनकी रातों की नींद उड़ा दी है।
गिरीश पाण्डेय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर किसानों को हुए नुकसान की शत-प्रतिशत क्षतिपूर्ति, कृषि व कोऑपरेटिव कर्ज माफी और बिजली बिल में राहत की मांग की है।
उन्होंने कहा, जब बड़े उद्योगपतियों को घाटा होने पर सरकारें मदद के लिए आगे आती हैं, तो देश के अन्नदाता को संकट की घड़ी में क्यों भुला दिया जाता है? सरकार को किसानों के साथ खड़ा होना चाहिए और उनकी पीड़ा को समझते हुए ठोस कदम उठाने चाहिए।”
किसान मंच ने प्रशासन से आग्रह किया है कि राजस्व टीम गांव-गांव जाकर नुकसान का सर्वे कर तत्काल मुआवजे की प्रक्रिया शुरू करे, ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति को संभाला जा सके और वे अगली फसल की तैयारी कर सकें।







