सबने पूछा बोलो कुछ लाए कि नही,बस माँ ने पूछा कुछ खाए कि नहीं। गालिब जयन्ती में बही रसधारा

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अमित मिश्रा

मित्रमंच फाउण्डेशन, सोनभद्र ने ग़ालिब जयंती पर आयोजित किया 22वाँ सालाना मुशायरा, कवि सम्मेलन

सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। जनपद में मित्र मंच फाउण्डेशन द्वारा अजीम शायर मिर्जा गालिब की 227वीं जयंती के मौके पर 22वें मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन एक होटल में किया गया। इस मुशायरे एवं कवि सम्मेलन में देश भर के नामचीन शायरों, कवियों एवं कवयित्री ने अपनी रचनाएँ पढ़कर श्रोताओं से खूब वाहवाही लूटी।

मुशायरे का आगाज मुशायरे एवं कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि  साहित्य गौरव डॉ. लवकुश प्रजापति, मित्र मंच के संरक्षक दया सिंह व उमेश जालान ने गालिब की तस्वीर पर माल्यार्पण कर शम्मा रोशन की रस्म अदा करके की। इसके बाद मित्रमंच के अध्यक्ष विकास वर्मा ‘‘बाबा‘‘ एवं कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष राम प्रसाद यादव, संरक्षक दया सिंह एवं सदस्यों विनोद कुमार चौबे, फरीद अहमद, इकराम खां आदि ने शायरों एवं कवियों का माल्यार्पण कर बैैज लगाते हुए उन्हें स्मृति चिह्न भेंट किये। विकास वर्मा बाबा ने कवियित्री प्रतिभा यादव को पुष्प गुच्छ, बैज और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।


कार्यक्रम की अध्यक्षता लवकुश प्रजापति ने की एवं मंच संचालन हसन सोनभद्री ने किया। मुशायरा एवं कवि सम्मेलन की शुरुआत मनोज मधुर ने सरस्वती वंदना से की। इसके उपरांत अफजल इलाहाबादी ने गालिब की एक गजल पढ़कर मुशायरे का सिलसिला आगे बढ़ाया। सैकड़ों सुधी श्रोताओं ने सभी शायरों की ग़ज़लें-नज्में, कवियों एवं कवयित्रि के गीत-कविताएं मंत्रमुग्ध होकर सुनीं और भरपूूर दाद दी।


कवि लवकुश प्रजापति ने कहा ‘‘रीत गये सब प्रेम रीत, रसहीन हुई है रसना।
फिर भी ढूंढ रहा मैं तेरी आंखों में मीरा का सपना।।‘ विकास वर्मा ‘‘बाबा‘‘ ने कहा- ‘कौन किस हद तलक क्या सोचेगा,
इसका तो कोई दायरा ही नहीं।‘ हसन सोनभद्री ने कहा-
‘सबने पूछा बोलो कुछ लाए कि नहीं।
बस माँ ने पूछा था कुछ खाए कि नहीं।।‘ पंडित प्रेम बरेलवी ने कहा-‘जनाब ज़िन्दे क्या मुर्दे भी बोल उठते हैं,
करो जो बात तो हर चीज़ बात करती है।‘ अफजल इलाबादी ने कहा ‘मेरी तामीर मुकम्मल नहीं होने पाती,
कोई बुनियाद हिलाता है चला जाता है।‘ सुहेल आतिर ने कहा-
‘कुछ वार ही तलवार के बेकार गये हैं। ये किसने कहा तुझसे के हम हार गये हैं।।‘

मनोज मधुर ने कहा-‘प्यार की रस्म निभाना हमें आता ही नहीं।
रूठना और मनाना हमें आता ही नहीं।।‘ कमल नयन त्रिपाठी ने कहा‘मुझको क़ातिल कहा गया इसी सुबूत पर।
आधा लहू बदन में था बाक़ी ख़ुतूत पर।‘ डॉ. मनमोहन मिश्र ने कहा- ‘जो मेरे गीतों का इक-इक पेज है।
दर्द का मेरे वो दस्तावेज़ है।।‘

प्रतिभा यादव ने कहा- ‘पलकों पे कोई ख्वाब सज़ाकर तो देखिए। दिल में किसी का प्यार बसाकर तो देखिए।‘

अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. लवकुश प्रजापति ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कार्यक्रम में पढ़ी गई रचनाओं और श्रोताओं की तारीफ करते हुए सभी का धन्यवाद किया।

मित्रमंच फाउण्डेशन के अध्यक्ष विकास वर्मा ‘‘बाबा‘‘ ने देश भर से आए हुए सभी शायरों, कवियो, कवयित्री एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मुशायरे एवं कवि सम्मेलन की महफ़िल को अगले साल तक के लिए मुल्तवी किया।


कार्यक्रम में मित्रमंच फाउण्डेशन के संरक्षक राधेश्याम बंका एवं मित्रमंच फाउण्डेशन के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों में उमेश जालान, संदीप चौरसिया, फरीद अहमद, अमित वर्मा, विनोद कुमार चौबे, रामप्रसाद यादव, श्याम राय, नंदलाल केशरी, डॉ. गोविंद यादव, धर्मराज जैन, इकराम खॉं, नन्दकिशोर विश्वकर्मा, राजेश सोनी, आशीष अग्रवाल, रविन्द्र केशरी, मुमताज अहमद, आदि सहयोगी, समाजसेवी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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