अमित मिश्रा
0 किसानों, मजदूरों के सवालों को लेकर उ.प्र. खेत मजदूर यूनियन व किसान सभा ने ट्रेड यूनियन्स व संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस पर समर्थन करते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन।
0 मनरेगा मजदूरों को दो सौ दिन के काम और छः सौ रुपए प्रतिदिन की मजदूरी तय हो; आर के शर्मा
सोनभद्र। मंगलवार को आल इंडिया ट्रेड यूनियन्स, संयुक्त किसान मोर्चा एवं भारतीय खेत मजदूर यूनियन ने सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर सोमवार को सभी जिला मुख्यालयों पर धरना/प्रदर्शन के कार्यक्रम को समर्थन देते हुए उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन व उत्तर प्रदेश किसान सभा सोनभद्र की जिला इकाई ने भी जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी , किसान विरोधी नीतियों का पुरजोर विरोध किया और संयुक्त किसान मोर्चा व ट्रेड यूनियन्स के संयुक्त मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते हुए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। जहां नेताओं का कहना रहा कि मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर सभी राज्यों व सभी जिला मुख्यालयों पर आंदोलन किया जा रहा है। आज देश में लगातार बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी से देश हर कौम प्रभावित हैं। किसानों,मजदूरों की स्थिति बद से बद्तर होती जा रही है। ऐसे में हम किसानों, मजदूरों के ज्वलंत सवालों को लेकर सरकार से मांग करते हैं कि सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद के साथ एम एस पी को लागू किया जाए।
चार श्रम संहिताओं को निरस्त करें, श्रम की आउटसोर्सिंग और संविदाकरण को समाप्त करें और सभी के लिए रोजगार सुनिश्चित किया जाए।
संगठित, असंगठित और कृषि क्षेत्र के सभी श्रमिकों के लिए 26000 रुपये प्रति माह का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा लागू करें।ऋणग्रस्तता और किसान आत्महत्या को समाप्त करने के लिए व्यापक ऋण माफी चलाया जाए।
राष्ट्रीय मुद्रीकरण (एन.एम.पी.) को समाप्त करें – सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सार्वजनिक सेवाओं का निजीकरण न करें। स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली – कोई प्रीपेड स्मार्ट मीटर नहीं, कृषि पंपों के लिए मुफ्त बिजली, घरेलू उपयोगकर्ताओं और दुकानों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली।कोई डिजिटल कृषि मिशन (डी.ए.एम), राष्ट्रीय सहयोग नीति और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ आईसीएआर समझौते नहीं जो राज्य सरकारों के अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं और कृषि के निगमीकरण को सुविधाजनक बनाते हैं। राज्य सरकारें सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा ऋण, खरीद, प्रसंस्करण और ब्रांडेड विपणन में समर्थित उत्पादक सहकारी समितियों, सामूहिक, सूक्ष्म-लघु-मध्यम उद्यमों के संघ को बढ़ावा देने के लिए सहकारी खेती अधिनियम लागू करती हैं।
अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण को समाप्त करें, एल. ए. आर. आर. अधिनियम और एफ. आर. ए. 2013 को लागू करें।
मनरेगा में 200 दिन का काम और 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी तय किया जाए।
फसलों और मवेशियों के लिए व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा योजना, काश्तकारों को फसल बीमा और सभी योजना लाभ सुनिश्चित करें।
उन सभी लोगों के लिए 60 वर्ष की आयु में 10000 रुपये मासिक पेंशन जो किसी भी योजना में शामिल नहीं हैं।
सार्वजनिक उपक्रमों के निगमीकरण और लोगों को विभाजित करने के लिए विभाजनकारी नीतियों के उद्देश्य से कॉर्पोरेट-सांप्रदायिक नीतियों को खत्म करें।
लैंगिक सशक्तिकरण और फास्ट ट्रैक न्यायिक प्रणाली के माध्यम से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करें।उत्तर प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जनपद सोनभद्र में वन विभाग द्वारा आदिवासियों, गरीबों व महिलाओं के उपर किए जा रहे शोषण ,उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगाई जाए और इन आदिवासियों, भूमिहीनों को वनाधिकार कानून पूरा लाभ दिलाया जाए ।
उक्त प्रमुख मांगों को लेकर राष्ट्रपति महोदया के नामित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के जिला महामंत्री आर के शर्मा, उत्तर प्रदेश किसान सभा के जिला संयोजक रामरक्षा, देव कुमार विश्वकर्मा, अमर नाथ सूर्य, दिनेश कुमार, सूरज, राजेन्द्र प्रसाद व कन्हैयालाल आदि मौजूद रहे।
जनपद में मजदूरों के महासंघों में एटक,सीटू, इंटक की जिला इकाई द्वारा भी भारी संख्या में उक्त मांग को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया और जिला प्रशासन को मांग पत्र सौंपा गया।