जंगल पर कब्जा और पेड़ों की कटान से नाराज़ ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, वन विभाग के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

अमित मिश्रा

कोन (सोनभद्र) । कोन वन रेंज अन्तर्गत जंगलों में लगातार हो रही अवैध कटाई और कब्जे के विरोध में शनिवार को क्षेत्र के ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन किया। कैलास राम भारती की अगुवाई में स्थानीय लोगों ने हड़वरिया, बरवाहीखोली और घटवारिया में सड़कों पर उतरकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि वन विभाग की लापरवाही के कारण माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।

प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों का कहना है कि बागेसोती बीट के अंतर्गत झारखंड सीमा से लगे इलाकों में झारखंड वासियों द्वारा उत्तर प्रदेश की सीमा के भीतर करीब 70 मीटर तक अतिक्रमण कर पक्के मकान बना लिए गए हैं। वहीं खोहिया जंगल, ललुआखोह, बरवाहीखोली, हड़वरिया, घटवारिया, मिश्री, डोमा, चांचीकलां, नरहटी, और हर्रा जैसे इलाकों में भारी मात्रा में पेड़ों की कटाई और वन भूमि पर कब्जा हो चुका है।

ग्रामीणों ने बताया कि इन क्षेत्रों में अवैध खनन और बालू का परिवहन भी खुलेआम जारी है। कई बार शिकायत के बावजूद वन विभाग सिर्फ कागजी कार्रवाई कर खानापूर्ति करता रहा है। अधिकारियों की उदासीनता और क्षेत्र में गश्ती का अभाव माफियाओं को खुली छूट देने जैसा है। प्रदर्शनकारियों ने “वन विभाग की मनमानी नहीं चलेगी”, “जंगल बचाओ – माफिया भगाओ”, “फर्जी रिपोर्ट बंद करो” जैसे नारे लगाए।

वरिष्ठ समाजसेवी रामचंद्र सिंह, वन समिति अध्यक्ष बिहारी प्रसाद यादव, भाजपा बूथ अध्यक्ष कैलास राम भारती, रघुवर पासवान, सुदर्शन पनिका, रामअधीन यादव, राम खेलावन यादव सहित अन्य लोगों ने प्रदर्शन में भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जब भी लिखित शिकायत की जाती है, जांच अधिकारी बिना मौके पर गए GPS मैप के जरिए फर्जी जांच रिपोर्ट बनाकर माफियाओं को संरक्षण दे देते हैं। इससे माफिया बेलगाम होते जा रहे हैं और विभागीय अधिकारी तमाशबीन बने हुए हैं।

पर्यावरणविदों ने भी वन कटान और नदियों में अवैध खनन को लेकर चिंता जताई है। वहीं, लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को वन विभाग खुलेआम ठेंगा दिखा रहा है।

इस मामले में कोन वन क्षेत्राधिकारी से फोन पर संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। अब देखना यह होगा कि प्रभागीय वनाधिकारी इस गंभीर मसले पर क्या कदम उठाते हैं या फिर मामला सिर्फ फाइलों तक सीमित रह जाएगा।

Leave a Comment

908
वोट करें

भारत की राजधानी क्या है?