



अमित मिश्रा
विदेशी संतों की भागीदारी से गूंज उठा सोनभद्र, किन्नर अखाड़े की कथा में दिखा वैश्विक समरसता का अद्भुत संगम
सोनभद्र । ओरगाई में आयोजित किन्नर अखाड़े की दिव्य भागवत कथा एक आध्यात्मिक संगम बनकर उभरी, जहाँ विभिन्न देशों से आए संतों और विद्वानों ने सनातन धर्म की महिमा का गुणगान किया। यूरोप से आए आचार्य आंद्रे ने अपने संबोधन में कहा, “सनातन धर्म में ही मानवता की गूढ़तम व्याख्या छुपी है। संसार के हर प्रश्न का उत्तर इसके ग्रंथों में निहित है।”

रूस और यूक्रेन से आई साध्वियों ने शुद्ध संस्कृत और हिंदी में अपना विचार प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। रूस की साध्वी जूलिया ने आदिदेव शिव की स्तुति करते हुए वैदिक श्लोकों का उच्चारण किया, वहीं यूक्रेन की साध्वी याना ने गुरुमहिमा और सनातन परंपरा की महत्ता पर प्रकाश डाला।

काशी से पधारे प्रोफेसर डॉ. लेखमणि त्रिपाठी ने अपने शोध का हवाला देते हुए कहा कि अफगानिस्तान में मिले प्राचीन यान के अवशेष यह संकेत करते हैं कि वह किसी विशेष ऊर्जा, संभवतः माहेश्वर सूत्र, से संचालित होता था। उनका कहना था कि वैश्विक स्तर पर सनातन धर्म के प्रति बढ़ता आकर्षण भारत की ज्ञान परंपरा की पुनर्प्रतिष्ठा का संकेत है।

किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर हेमलता सखी जी ने कहा, “ईश्वर दुखों का संचय नहीं करता, व्यक्ति स्वयं अपने कर्मों से अपने जीवन की दिशा तय करता है, सनातन धर्म के मूल में वसुधैव कुटुंबकम् की भावना है, जो भारत को एक बार फिर विश्व गुरु बनने की दिशा में ले जा रही है।”
दिनभर आयोजित विविध धार्मिक अनुष्ठानों में देशभर से आए विद्वान पंडितों ने लोकमंगल के लिए महायज्ञ सम्पन्न कराया। स्वस्तिवाचन और तिलक विधि के साथ संतों और अतिथियों का स्वागत किया गया। अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मान की परंपरा निभाई गई।

इस आयोजन का आभार ज्ञापन बीएचयू के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. मार्कण्डेय पाठक ने किया। आयोजन स्थल पर रात्रिकालीन रासलीला और विशाल भंडारे ने भक्तों को भक्ति और आनंद के रंग में रंग दिया।
इस भागवत कथा में विजय शंकर चतुर्वेदी, डॉ0 ओम प्रकाश त्रिपाठी, श्रीकांत दुबे सहती सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे ।
आयोजक अशोक चौबे ने बताया कि यह कथा 25 अप्रैल तक चलेगी, जिसमें प्रतिदिन प्रातःकाल महायज्ञ, दिन में कथा, रात्रि में भंडारा और रासलीला का आयोजन होता रहेगा।