सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र देने वाले को कोर्ट ने धोखाधड़ी में सात साल की सुनाई सजा

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अमित मिश्रा

90 हजार रुपये अर्थदंड, न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी

जेल में बितायी अवधि सजा में होगी समाहित

12 वर्ष पूर्व नौकरी लगवाने के नाम पर 3 लाख 30 हजार रुपये लेने और फर्जी नियुक्ति पत्र देने का मामला

सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। जनपद में 12 वर्ष पूर्व नौकरी दिलाने के नाम पर 3 लाख 30 हजार रुपये लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र देने के मामले में सीजेएम आलोक यादव की अदालत ने सुनवाई करते हुए धोखाधड़ी में दोषसिद्ध पाकर दोषी संतोष कुमार मिश्र को 7 वर्ष की कैद व 90 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है, वही अर्थदंड न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। इस सजा में जेल में बितायी गयी अवधि भी समाहित होगी।


अभियोजन पक्ष के मुताबिक अम्बरीश कुमार शुक्ला पुत्र राजनाथ शुक्ला निवासी मदैनिया, थाना करमा ने कोर्ट में 156(3) सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र देकर अवगत कराया था कि वह बीएससी, बीएड और कम्प्यूटर की शिक्षा लिया है। उसकी पिता के साथ मुलाकात संतोष कुमार मिश्र पुत्र रामललित मिश्र निवासी बनौली, थाना पन्नूगंज हाल पता बढ़ौली चौराहा, रॉबर्ट्सगंज से हुई। उन्होंने बताया कि वे उत्तर प्रदेश जन संपर्क विभाग लखनऊ में जूनियर डायरेक्टर पद पर कार्यरत हैं। उसकी सरकारी नौकरी लगवा देगा, इसके लिए 3 लाख 30 हजार रुपये देना होगा। इस पर विश्वास करके गवाहों के समक्ष 14 नवंबर 2012 को 3 लाख 30 हजार रुपये संतोष कुमार मिश्र को दे दिया गया, बदले में उनके द्वारा नियुक्ति पत्र दिया गया।

वह जब लखनऊ सम्बंधित विभाग में नियुक्ति पत्र लेकर गया तो पता चला कि नियुक्ति पत्र फर्जी है, फिर संतोष कुमार मिश्र से अपने पैसे की मांग की गई तो उन्होंने चेक दे दिया। वह जब बैंक में 1 मई 2013 को चेक जमा किया गया तो बैंक से 7 मई 2013 को लिखकर मिल गया कि खाता बंद है जिसकी वजह से भुगतान नहीं हो पाया।  जब पुनः संतोष कुमार मिश्र से पैसे की मांग की गई तो उनके द्वारा जान मारने की धमकी दी गई है।

कोर्ट के आदेश 25 जून 2013 के अनुपालन में करमा पुलिस ने धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना किया और पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया। कोर्ट ने 17 अगस्त 2017 को अभियुक्त संतोष कुमार मिश्र के विरुद्ध आरोप तय किया।

मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, 10 गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन करने पर धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में दोष सिद्ध पाकर दोषी संतोष कुमार मिश्र को 7 वर्ष की कैद व 90 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी सतीश वर्मा ने बहस की।

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