



अमित मिश्रा
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की मनाई गई जयंती, 485वीं जयंती पर आयोजित हुई गोष्ठी
सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। वीरशिरोमणि शौर्य व पराक्रम के प्रतीक महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती जिला मुख्यालय स्थित एक निजी महाविद्यालय पर मनायी गयी। कार्यक्रम के आरम्भ में महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ० अंजली विक्रम सिंह द्वारा सरस्वती प्रतिमा व महाराणा प्रताप के चित्रपर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डॉ० अनिश सिंह ने कहा की मध्य कालीन इतिहास के 1000 वर्षों के अन्तराल में सनातनी परम्परा के शूर वीर महाप्रतापी राणा प्रताप ने एक ऐतिहासिक वीरता का परिचय दिया। उन्होने 29 साल के शासन में अपने स्वार्थो को त्याग कर सर्वत्र अपने राजपूताना रियासत के सम्मान एवं समृद्धि के लिए प्रयत्नशील रहे। उन्होने मुगलो को कई युद्धो में युद्ध छोड़ कर भागने पर मजबूर किया।
महाविद्यालय की प्राचार्या ने अपने सम्बोधन में कहा की वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के ऐसे महानायक है जिन्होने अपने मान सम्मान और स्वाभीमान की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। महाराणा प्रताप केवल एक नाम नहीं बल्कि भारतीय स्वाभीमान,आत्म सम्मान और अडिग राष्ट्र भक्त का प्रतिक है। हल्दी घाटी के युद्ध में अकबर की विशाल सेना का सामना करते हुए उन्होने जो वीरता दिखाई वह आज भी राष्ट्र भक्त और स्वाभिमान की प्रेरणा देती है। उनकी जयंती न केवल उनके जन्म का उत्सव है बल्कि उनके आदर्शो विरासत और भारत की सांस्कृतिक धरोहर ने दिये गये अमूल्य योगदान का सम्मान भी है। मुगल साम्राज्य के खिलाफ वीरता पूर्ण संघर्ष के लिए जाने जाते है। इसी कारण राजस्थान की मिट्टी चंदन से कम नही है। हम सभी लोगो का उनके वीरता साहस और पराक्रम से सीख लेने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से महाविद्यालय के मुख्य ट्रस्टी डॉ० अजय कुमार सिंह, डॉ० कैलाश नाथ, डॉ० अरुणेन्द्र संदल, डॉ० मालती, डॉ.0 अनुग्रह सिंह, पंकज सिंह, मनीश, तथा समस्त शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।