



अमित मिश्रा
O – मां प्रकटेश्वरी देवी मंदिर के पुजारी और भक्तों ने निभाई सामाजिक जिम्मेदारी
सोनभद्र । सामाजिक समरसता और सद्भाव की मिसाल पेश करते हुए सवर्ण समाज के लोगों ने एक विधवा दलित महिला की बेटी का विवाह कराकर मानवता और सहयोग का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह प्रेरणादायक घटना रावटसगंज ब्लॉक के मुठेर गांव स्थित मां प्रकटेश्वरी देवी मंदिर में घटित हुई, जहां मंदिर की सेविका कांति देवी की दूसरी पुत्री रेशमी की शादी 14 मई 2025 को बड़े ही धूमधाम से कराई गई।
कांति देवी, जो कि मां प्रकटेश्वरी देवी मंदिर में वर्षों से सेवा कर रही हैं, उनके पति स्वर्गीय सिरी कोल का देहांत हो चुका है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद उनकी दोनों बेटियों की शादी सवर्ण समाज के सहयोग से संपन्न कराई गई। पहली बेटी पूनम का विवाह वर्ष 2023 में मंदिर के ही प्रधान पुजारी विद्यावती देवी एवं उनके सहयोगियों के माध्यम से सम्पन्न हुआ था। अब दूसरी बेटी रेशमी का विवाह भी मंदिर प्रांगण से धर्मेंद्र (पुत्र रामजीत, निवासी चिरहुली टोला, मंठहवा) के साथ किया गया।
इस पुनीत कार्य में अगोरी बड़हर राज परिवार के कुंवर दीपेंद्र रमण ब्रह्मशाह उर्फ दीपू राजा (बिच्छी), शारदा तिवारी (सिद्धिकला), भोला दुबे (अतरवा), श्रीकांत चौबे (बेलगाईं), इंद्र कुमार चौबे (मुठेर), सत्य प्रकाश गुप्ता और नीतू सिंह पटेल (वाराणसी), कृष्णकांत दुबे, जयप्रकाश पांडे उर्फ चेखुर पांडे (रावटसगंज), मन्नू पांडे (ममुआ), मोनू सिंह पटेल (चुनार), ठाकुर प्रसाद पाठक (बहुआर), नवीन मिश्रा (ओबरा), बिरेस त्रिपाठी (रॉबर्ट्सगंज) समेत कई अन्य भक्तों ने अपनी उपस्थिति व सहयोग से विवाह समारोह को सफल बनाया।
इस घटना ने समाज में व्याप्त उन भ्रांतियों को चुनौती दी है, जो दलित और सवर्ण समाज के बीच भेदभाव को लेकर फैली हुई हैं। जहां एक ओर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा द्वेष की भावना को बढ़ावा देने की कोशिशें की जाती हैं, वहीं दूसरी ओर इस प्रकार के सौहार्द्रपूर्ण कार्य यह सिद्ध करते हैं कि इंसानियत और सहयोग की भावना जाति से ऊपर होती है।
यदि इसी प्रकार समाज के सभी वर्गों के बीच परस्पर सहयोग की भावना विकसित होती रही, तो सामाजिक भेदभाव की दीवारें जल्द ही ढह जाएंगी और एक समरस, समृद्ध भारत का सपना साकार होगा।