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भक्त और भगवान की मनमोहक लीला

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वीरेन्द्र कुमार

विंढमगंज (सोनभद्र) । थाना क्षेत्र के महुली के राजा बरियार शाह खेल मैदान पर चल रहे रामलीला का नवें दिन शबरी के घर प्रभु श्रीराम का आगमन, सुग्रीव मित्रता, बालि बद्ध, सुग्रीव का राज्याभिषेक इत्यादि मार्मिक प्रसंगों का कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से दर्शक दीर्घा में धाक जमाये रहे।
रामलीला के क्रम में मतंग ऋषि ने अपने अंतिम समय में बताया कि हे शबरी इसी आश्रम में तुम प्रभु श्रीराम का प्रतीक्षा करो।वे तुमसे मिलने जरूर आयेंगे।प्रभु की प्रतीक्षा में शबरी के दिन बीतने लगे।रोज-रोज राम के लिए मीठे बेर तोड़ कर लाती।बेर में कीड़े न हो और खट्टे न हो इसलिए प्रत्येक बेर को तोड़ कर चखती थी।
एक दिन दो सुंदर युवकों को गुजरते देख उसे ज्ञात होता है कि उसके प्रभु का आगमन हो गया है तो उन्हें आदर के साथ कुटिया में लाकर उनके पाँव धोकर उन्हें मीठे बेर खिलाती है।
इसी समय शबरी को ऋषि के कहे वचन याद आते हैं …
“ताहि देइ गति राम उदारा,शबरी के आश्रम पगु धारा।
शबरी देखि राम गृह आए,मुनि के बचन समुझि जिय भाए।।

अपने समीप प्रभु को पाकर उसका जीवन धन्य हो गया। यह मनोहर दृश्य देखते बनती थी।

अन्य दृश्यों में प्रभु श्री राम लक्ष्मण के साथ माता जानकी की खोज में बिचरण करते हैं। वहीँ दक्षिण दिशा के ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव नाम का बानर अपने भाई बाली के डर से कन्दराओं में छिपकर रहता था । विचरण करते दो अनजान युवकों को देख सुग्रीव को डर होता है कि कहीँ ये युवक बालि के भेजे दूत तो नही हैं।यह जानकर हनुमान को भेज पता कराते है । हनुमान प्रभु श्रीराम से मिलकर उनकी सुग्रीव से मित्रता कराते हैं।वहीँ प्रभु श्रीराम अपने मित्र की सहायता करने के लिए बालि का बध कर सुग्रीव को पम्पापुर का राजा तथा बाली के पुत्र अंगद को युवराज घोषित करते है।इसप्रकार अन्य कौतुहल भरे दृश्य जिसमें कलाकारों ने बिभिन्न चरित्रों का सजीव चित्रण किया।
इस अवसर पर रामलीला समिति के अध्यक्ष व ग्राम प्रधान अरविंद जायसवाल, वीरेंद्र कन्नौजिया, अमानुल्लाह, अमित कन्नौजिया सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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