कुंभ में गरीब-अमीर सब एक हो जाते हैं : डॉ0 धर्मवीर तिवारी

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अमित मिश्रा

सोनभद्र। बुथ संख्या 14 पर रविवार को भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष डॉ धर्मवीर तिवारी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात को सुना गया,जिसमें मोदी ने कहा क
इस बार का ‘गणतंत्र दिवस’ बहुत विशेष है। ये भारतीय गणतंत्र की 75वीं वर्षगाँठ है। इस वर्ष संविधान लागू होने के 75 साल हो रहे हैं। मैं संविधान सभा के उन सभी महान व्यक्तित्वों को नमन करता हूँ, जिन्होंने हमें हमारा पवित्र संविधान दिया। संविधान सभा के दौरान अनेक विषयों पर लंबी-लंबी चर्चाएं हुईं। वो चर्चाएं संविधान सभा के सदस्यों के विचार, उनकी वो वाणी, हमारी बहुत बड़ी धरोहर है। आज “मन की बात” में मेरा प्रयास है कि आपको कुछ महान नेताओं की ओरिजिनल आवाज सुनाऊँ हमारा इतिहास बताता है और हमारी संस्कृति सिखाती है कि हम शांति प्रिय हैं और रहे हैं। हमारा साम्राज्य और हमारी फतह दूसरी तरह की रही है, हमने दूसरो को जंजीरो से, चाहे वो लोहे की हो या सोने की, कभी नहीं बांधने की कोशिश की है। हमने दूसरों को अपने साथ, लोहे की जंजीर से भी ज्यादा मजबूत मगर सुंदर और सुखद रेशम के धागे से बांध रखा है और वो बंधन धर्म का है, संस्कृति का है, ज्ञान का है। हम अब भी उसी रास्ते पर चलते रहेंगे और हमारी एक ही इच्छा और अभिलाषा है, वो अभिलाषा ये है कि हम संसार में सुख और शांति कायम करने में मदद पहुंचा सकें और संसार के हाथों में सत्य और अहिंसा वो अचूक हथियार दे सकें जिसने हमें आज आजादी तक पहुंचाया है। हमारी जिंदगी और संस्कृति में कुछ ऐसा है जिसने हमें समय के थपेड़ों के बावजूद जिंदा रहने की शक्ति दी है। अगर हम अपने आदर्शों को सामने रखे रहेंगे तो हम संसार की बड़ी सेवा कर पाएंगे।
प्रयागराज में महाकुंभ का श्रीगणेश हो चुका है। चिरस्मरणीय जन-सैलाब, अकल्पनीय दृश्य और समता-समरसता का असाधारण संगम ! इस बार कुंभ में कई दिव्य योग भी बन रहे हैं। कुंभ का ये उत्सव विविधता में एकता का उत्सव मनाता है। संगम की रेती पर पूरे भारत के, पूरे विश्व के लोग, जुटते हैं।हजारों वर्षों से चली या रही इस परंपरा में कहीं भी कोई भेदभाव नहीं, जातिवाद नहीं। इसमें भारत के दक्षिण से लोग आते हैं, भारत के पूर्व और पश्चिम से लोग आते हैं। कुंभ में गरीब-अमीर सब एक हो जाते हैं। सब लोग संगम में डुबकी लगाते हैं, एक साथ भंडारों में भोजन करते हैं, प्रसाद लेते हैं – तभी तो ‘कुंभ’ एकता का महाकुंभ है। कुंभ का आयोजन हमें ये भी बताता है कि कैसे हमारी परम्पराएं पूरे भारत को एक सूत्र में बांधती हैं। उत्तर से दक्षिण तक मान्यताओं को मानने के तरीके एक जैसे ही हैं। एक तरफ प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है, वैसे ही, दक्षिण भू-भाग में, गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और कावेरी नदी के तटों पर पुष्करम होते हैं। ये दोनों ही पर्व हमारी पवित्र नदियों से, उनकी मान्यताओं से, जुड़े हुए हैं। इसी तरह कुंभकोणम से तिरुक्कड-यूर, कूड़-वासल से तिरुचेरई अनेक ऐसे मंदिर हैं, जिनकी परम्पराएं कुंभ से जुड़ी हुई हैं। इस बार आप सब ने देखा होगा कि कुंभ में युवाओं की भागीदारी बहुत व्यापक रूप में नजर आती है, और ये भी सच है कि जब युवा-पीढ़ी, अपनी सभ्यता के साथ, गर्व के साथ, जुड़ जाती है, तो उसकी जड़ें, और मजबूत होती हैं, और तब उसका स्वर्णिम भविष्य भी सुनिश्चित हो जाता है। हम इस बार कुंभ के digital footprints भी इतने बड़े scale पर देख रहे हैं। कुंभ की ये वैश्विक लोकप्रियता हर भारतीय के लिए गर्व की बात है और साथ में बुथ के सभी सदस्य, सभासद विनोद सोनी, राजू तिवारी शरद सोनी, अजीत सिंह, संदेश पटेल, संतोष, राहुल, श्यामलाल सोनी,राजू, रमेश मौर्य, सभी कार्यकताओं के साथ सुना गया।

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