भांग: पर्यावरण संरक्षण और नशे की दोहरी छवि

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विशेष संवाददाता

वर्तमान समय में बढ़ते प्रदूषण और वनों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। ऐसे में भांग (हैंप) एक कारगर विकल्प बनकर उभर रहा है। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, एक एकड़ भांग एक एकड़ जंगल की तुलना में 25% अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करता है और लगभग दोगुनी मात्रा में सेल्यूलोज़ की आपूर्ति सुनिश्चित करता है।

भांग बनाम जंगल: समय और उत्पादन में अंतर एक एकड़ भांग केवल 6 महीनों में परिपक्व होकर कटाई योग्य बन जाता है, जबकि जंगल को कटाई योग्य बनने में दशकों लग जाते हैं। इस तेज़ी से बढ़ने वाली फसल के माध्यम से जंगलों की कटाई को कम किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।

कागज उद्योग में क्रांतिकारी परिवर्तन यदि कागज के उत्पादन में भांग का उपयोग किया जाए, तो हम हर साल लाखों हेक्टेयर जंगलों को कटने से बचा सकते हैं। भांग से बना कागज अधिक टिकाऊ होता है और पारंपरिक लकड़ी आधारित कागज की तुलना में इसे अधिक बार पुनः उपयोग में लाया जा सकता है। इससे न केवल प्राकृतिक संसाधनों की बचत होगी, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी।

विविध उपयोगिता: वस्त्र से लेकर जैविक ईंधन तक भांग का उपयोग केवल कागज तक सीमित नहीं है। इससे वस्त्र, निर्माण सामग्री और जैविक ईंधन (बायोफ्यूल) का भी उत्पादन किया जा सकता है। भांग से बने वस्त्र टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। इसके अलावा, निर्माण उद्योग में भांग आधारित सामग्रियों का उपयोग कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में सहायक साबित हो सकता है। जैविक ईंधन के रूप में इसका प्रयोग जीवाश्म ईंधनों पर हमारी निर्भरता को कम करने में मदद करेगा।

नशे का पहलू: स्वास्थ्य और सामाजिक प्रभाव भांग का एक और पक्ष इसका नशे के रूप में उपयोग है। इसकी पत्तियों और फूलों से तैयार होने वाले पदार्थों का सेवन मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल सकता है। कई देशों में भांग के नशे को नियंत्रित किया गया है, जबकि कुछ जगहों पर इसे वैध कर दिया गया है। चिकित्सा क्षेत्र में भी भांग आधारित उत्पादों का उपयोग दर्द निवारक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े उपचारों में किया जा रहा है।

भविष्य की दिशा विज्ञान और पर्यावरणविदों के अनुसार, यदि भांग के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा दिया जाए, तो यह पर्यावरण संरक्षण में एक बड़ा योगदान दे सकता है। हालांकि, इसके नशे से जुड़े दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए नियमन आवश्यक है। सरकारों और उद्योगों को भांग आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनानी चाहिए, जिससे न केवल वनों की रक्षा होगी, बल्कि सतत विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकेंगे।

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