



अमित मिश्रा
सोनभद्र । भारतीय जनता पार्टी जिला कार्यालय, राबर्ट्सगंज में आज आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष नन्द लाल, उपाध्यक्ष अनुसूचित आयोग जीत सिंह खरवार और कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
नन्द लाल ने अपने संबोधन में कहा कि बिरसा मुंडा ने ‘जल, जंगल और जमीन’ के साथ स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। उन्होंने बताया कि बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ जीविका एवं अधिकार की लड़ाई लड़ी, और उनकी जीवनी आज भी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
उपाध्यक्ष जीत सिंह खरवार ने बताया कि अंग्रेजों ने उनकी बढ़ती लोकप्रियता से भय महसूस किया और उन पर 500 रुपये का इनाम घोषित किया था। उन्होंने दो बार गिरफ्तारी झेली, पहली 1895 में और दूसरी 1900 में, और 9 जून 1900 को रांची जेल में उनका निधन हुआ था ।
प्रदेश मंत्री नागेश्वर गोंड ने कहा कि बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खतनी (खूंटी) जिले के उलिहातू गांव में हुआ । उन्होंने अंतिम लड़ाई झारखंड की डोंबारी बुरू पहाड़ी पर लड़ी, जहाँ 9 जनवरी 1900 को अंग्रेजों ने भारी गोलीबारी की जिसमें सैकड़ों आदिवासी मारे गए । जिसे इतिहासकार जालियावाला बाग से पहले का सबसे बड़ा नरसंहार मानते हैं ।
उच्च अधिकारियों ने बताया कि छह आदिवासी शहीदों के नाम पत्थरों पर अंकित हैं, जिनमें हाथीराम मुंडा, हाड़ी मुंडा, सिंगराय मुंडा, बंकन मुंडा की पत्नी, मझिया मुंडा की पत्नी और डुंगडुंग मुंडा की पत्नी शामिल हैं। इस स्थान पर हर वर्ष 9 जनवरी को मेला लगता है।
कार्यक्रम में जिला महामंत्री शंभू सिंह गोंड, जिला उपाध्यक्ष शिवरतन गोंड, जिला मंत्री ज्योति खरवार, बिंदु-अगरिया परिवार, प्रिया सोनकर, कैलास तिवारी, पूर्व मंडल अध्यक्ष बलराम सोनी सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।
यह कार्यक्रम यह याद दिलाता है कि बिरसा मुंडा की शहादत आदिवासी समाज ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत रही। उनके संघर्ष और बलिदान की गाथा आज भी हम सभी के लिए स्वाधीनता, आत्मसम्मान और मिट्टी व संस्कृति की रक्षा के संदेश की तरह गूंजती है।