अमित मिश्रा
सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। गुरु गोविन्द सिंह राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत पर चलते थे,इसी का परिणाम रहा कि अपने चार पुत्रो को बलिदान राष्ट्र के लिए कर दिया जिसमे दो पुत्र तो छह व नौ साल के ही थे।आज देश को पहले रखने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता एक गहन संकल्प के रुप मे प्रति ध्वनीत होती है।उक्त बातें सदर विधायक भूपेश चौबे ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा वीर बाल दिवस 21 से 27 दिसंबर तक चल रहे कार्यक्रम के दौरान आयोजित संगोष्ठी में कही।
वीर बाल दिवस पर आयोजित संगोष्ठी का शुभारम्भ पं0 दीनदयाल उपाध्याय व डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन मुख्य अतिथि सदर विधायक व जिलाध्यक्ष सहित अन्य नेताओं ने कर के किया।
इस संगोष्ठी की अध्यक्षता भाजपा जिलाध्यक्ष नन्दलाल व संचालन जिला महामंत्री व जिला संयोजक रामसुन्दर निषाद ने किया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि सदर विधायक भूपेश चौबे ने कहा कि गुरु गोविन्द सिंह के चार पुत्र साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर और साहिबजादा फतेह सिंह राष्ट्र प्रथम के लिए अपने प्राणों का बलिदान किया जो इस प्रतिबद्धता का उदाहरण देते है। मुगल सेना ने गुरु गोविन्द सिंह की सेना पर हमला कर दिया आनन्दपुर साहिब किला संघर्ष का प्रारंम्भिक बिन्दु था।
सिरसा नदी के तट पर एक लंबी लड़ाई के बाद परिवार विभाजीत हो गया बाद मे नवाबो ने साहिबजादो को इस्लाम अपनाने के लिए कहा लेकिन उन्होने इन्कार कर दिया और अपने धर्म के प्रति अपने प्रेम की अटूट श्रद्धा को प्रदर्शित किया। एक ओर मजहबी कट्टरता मे अंधी शक्तिशाली मुगल सल्तनत थी वहीं दूसरी ओर ज्ञान से जगमगाते और भारत के प्राचीन सिद्धांतो के अनुसार जीने वाले हमारे गुरु श्री गोविन्द सिंह थे। एक ओर आतंकी और मजहबी कट्टरता की पराकाष्ठा थी तो दूसरी ओर आध्यात्मिकता की पराकाष्ठा और हर इंसान मे ईश्वर को देखने की दयालुता थी।
मुगलों के पास लाखों की सेना थी तो गुरु गोविन्द के वीर साहिबजादों के पास साहस था वे अकेले होते हुए भी मुगलों के सामने नही झुके तभी मुगलों ने उन्हे जिंदा दीवार मे चुनाव दिया यह इनकी वीरता ही है जो सदियों से प्रेरणा का श्रोत बनी हुयी है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष नन्दलाल जी ने कहा कि वीर बाल दिवस संगोष्ठी के अवसर पर वीर साहेबजादे द्वारा प्रदर्शित साहस और दृढ़ संकल्प एक प्रमाण के रुप मे खड़ा है। जो औरंगजेब और उसके अनुयायियों को एक शक्तिशाली संदेश देता है कि युवा पीढ़ी कु्ररता के आगे झुकने से इंकार करती है और देश का मनोबल को बनाये रखने के लिए दृढ़ संकल्पित रहती है यह राष्ट्र की नियति को आकार देने मे युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है जिससे वीर बाल दिवस को अतिरिक्त महत्व मिलता है।
भारतीय इतिहास में इस घटना को बाद मे साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह द्वारा दिये गये सर्वोच्च बलिदान के रुप मे याद किया गया। धर्म परिवर्तन के लिए जब एक छः साल और नौ साल के बच्चों के ऊपर मुगलों द्वारा दबाव बनाया गया तो उन्होने बहुत बहादुरी से बोलते हुए कहा कि जोरावर जोर से बोला, फतेह सिंह शोर से बोला, धरो ईंटे भरों गारे, चिनों दीवार हत्यारे हमारी सांस बोलेगी, हमारी लाश बोलेगी , यह दीवार बोलेगी हजारों बार बोलेगी , जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल।
इस मौके पर पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक मिश्रा, धर्मवीर तिवारी, अजीत रावत, रामलखन सिंह, जिला उपाध्यक्ष अशोक मौर्या, उदयनाथ मौर्या, ओमप्रकाश दूबे, आलोक सिंह, सुरेश शुक्ला, बीएन गुप्ता, नार सिंह पटेल, शंम्भू नारारण सिंह, पुष्पा सिंह, यादवेन्द्र द्विवेदी, संतोष शुक्ला, कमलेश चौबे, रितु अग्रहरी, कमलेश खाम्बे, सरजू बैसवार, ओमप्रकाश यादव, बृजेश श्रीवास्तव, अनूप तिवारी सहित आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।