



नवीन कुमार
स्थायी भवन न होने से विकास कार्यों पर पड़ा असर, ग्रामीणों को उठानी पड़ रही दिक्कतें
कोन (सोनभद्र)। जिले के कोन और करमा ब्लॉक को स्थायी भवन मिलने की उम्मीदें अब भी धूमिल हैं। भाजपा की पिछली सरकार में मुख्यमंत्री द्वारा इन दोनों ब्लॉकों के निर्माण की घोषणा की गई थी, लेकिन पांच वर्ष बीत जाने के बावजूद भी अभी तक भवन निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। वर्तमान में ये दोनों ब्लॉक अस्थायी पंचायत भवनों में संचालित हो रहे हैं, जिससे विभिन्न सरकारी कार्यों के संचालन में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
स्थायी भवन न होने की वजह से ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों, कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों को लगातार समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। बैठकें करने के लिए समुचित स्थान का अभाव है, सरकारी दस्तावेजों और योजनाओं के संचालन में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। अधिकारियों को किसी भी बैठक या महत्वपूर्ण कार्य के लिए अन्य स्थानों पर शरण लेनी पड़ रही है, जिससे विकास कार्यों की गति धीमी हो गई है।
ब्लॉक प्रमुख ने कई बार उठाई आवाज, फिर भी प्रशासन मौन
कोन ब्लॉक प्रमुख रूबी मिश्रा ने इस गंभीर समस्या को लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, पंचायती राज मंत्री और प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर जल्द से जल्द स्थायी भवन निर्माण की मांग की। इसके बावजूद अब तक किसी भी स्तर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
रूबी मिश्रा का कहना है कि “ब्लॉक कार्यालय किसी भी क्षेत्र के प्रशासनिक और विकास कार्यों की रीढ़ होता है, लेकिन स्थायी भवन न होने की वजह से कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू करने में देरी हो रही है। कई विभागों के कार्यालयों की स्थापना नहीं हो पा रही, जिससे जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हमने इस समस्या को कई बार उच्च अधिकारियों के समक्ष उठाया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।”
जनता और अधिकारियों की परेशानियां बढ़ीं, ठप पड़े कई विभागों के कार्य
स्थायी भवन के अभाव में कई विभागों के कार्यालय भी स्थापित नहीं हो पाए हैं, जिससे ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ लेने के लिए अन्य स्थानों तक जाना पड़ रहा है।
वर्तमान में समाज कल्याण, कृषि, महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी विभागों के कार्यालय पूर्ण रूप से संचालित नहीं हो पा रहे हैं। ग्रामीणों को छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए कई किलोमीटर दूर स्थित अन्य ब्लॉक मुख्यालयों पर जाना पड़ता है, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी हो रही है।
ब्लॉक में नहीं हो पा रही नियमित बैठकें
स्थायी भवन न होने की वजह से ब्लॉक स्तर पर नियमित बैठकों का आयोजन भी प्रभावित हो रहा है। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को हर बार अलग-अलग स्थानों पर बैठकें आयोजित करनी पड़ती हैं, जिससे सरकारी योजनाओं की सही मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही।
एक स्थानीय अधिकारी ने बताया:
“हमारे पास न तो स्थायी कार्यालय है और न ही बैठकों के लिए पर्याप्त स्थान। कभी पंचायत भवन में तो कभी किसी अन्य जगह बैठकर काम करना पड़ता है, जिससे फाइलों को सुरक्षित रखना भी मुश्किल हो गया है।”
स्थायी भवन न बनने से ग्रामीणों में रोष, आंदोलन की चेतावनी
स्थायी ब्लॉक भवन न बनने को लेकर जनता में भी गहरी नाराजगी है। ग्रामीणों का कहना है कि जब मुख्यमंत्री ने स्वयं इस ब्लॉक के निर्माण की घोषणा की थी, तो अब तक इसे पूरा क्यों नहीं किया गया?
स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यदि जल्द ही स्थायी भवन का निर्माण नहीं कराया गया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे और सरकार से जवाब मांगेंगे।
ग्रामीणों की शिकायत:
“हर बार नई सरकार आती है और वादे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं होता। अगर जल्द ही स्थायी भवन का निर्माण नहीं हुआ, तो हम सभी एकजुट होकर धरना प्रदर्शन करेंगे।”
क्या कहता है प्रशासन?
जब इस मुद्दे पर अधिकारियों से सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया कि प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है, लेकिन अब तक कोई स्वीकृति नहीं मिली है। शासन से अनुमति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:
“हमने कई बार पत्राचार किया है और शासन का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया है। जैसे ही हमें स्वीकृति मिलेगी, निर्माण कार्य तेजी से शुरू किया जाएगा।”
सरकार से जल्द समाधान की मांग
क्षेत्रवासियों और जनप्रतिनिधियों ने सरकार से मांग की है कि कोन और करमा ब्लॉक के स्थायी भवन निर्माण को जल्द से जल्द शुरू किया जाए।
स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि यदि शासन जल्द संज्ञान लेता है, तो इस समस्या का समाधान निकल सकता है और ब्लॉक स्तर पर सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है।