Search
Close this search box.

संतोष ही सुख का आधार : आचार्य सरस्वती

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

अमित मिश्रा

0- संतोदय सत्संग परिवार के वार्षिक संत समागम में कहा, सद्गुरु की शरण में आने के बाद कुछ पाना शेष नहीं रह जाता

सोनभद्र। संतोदय सत्संग परिवार के शुक्रवार को हुए समागम ने सांसारिक उलझनों के बीच फंसकर अशांत और असंतुष्ट होते मानव जीवन को इनसे उबरने की राह दिखाई। सांसारिक रीति को निभाते हुए सत्य और परमार्थ से प्रीति कैसे बढ़े, संतोष और संतुष्टि कैसे मिले, इसके रहस्य बताए। आचार्य स्वामी सत्येन्द्र कुमार सरस्वती महाराज ने कहा कि सद्गुरु की शरण में आने के बाद कुछ पाना शेष नहीं रह जाता।

यह शरणागति मानव जीवन के सभी संशयों को पल भर में समाप्त कर उसे उसके वास्तविक स्वरूप का बोध कराती है। वास्तविक स्वरूप का बोध हो जाने पर संसार में आसक्ति नहीं रह जाती और वह अपने सद्गुरु देव भगवान की दया-कृपा के अधीन हो जाता है। हर स्थिति, परिस्थिति को वह प्रभु परमात्मा का प्रसाद समझकर उसे सहज भाव से स्वीकार करता है। तब वह कर्ता नहीं रह जाता। उसकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं रह जाती। परमात्मा की चाह को वह अपनी चाह बना लेता है। ऐसा होने पर सहज ही संतोष और संतुष्टि की अनुभूति होने लगती है। संतोष ही सुख का आधार है। उसकी रहनी और जीवनी को प्रभु स्वयं संवारते हैं।यह संसार से विरक्ति का मार्ग नहीं बल्कि संसार में रहते हुए संसार की नश्वरता और आत्मरूपी जीव की अमरता को समझने का मार्ग है, जो परम तत्व से आपको परिचित कराता है। इन सबका मूल सद्गुरु देव भगवान की दया-कृपा ही है। उनकी दया-कृपा हो जाए तो फिर कभी किसी की आधीनता की जरूरत नहीं रह जाती। सबसे बड़ी बात यह कि परम पूज्य सद्गुरु देव भगवान की दया-कृपा सबको समान रूप से सहज और सुलभ है, बस उनके सन्मुख होने की देर है। वह तो परम दयालु हैं। सद्गुरु की दया-कृपा होने पर ही सत्संग सुलभ होता है। सत्संग ही सुमंगल का हेतु है।
कार्तिक पूर्णिमा पर ब्रह्म नगर स्थित संत साहित्य कुटीर में हुए इस समागम का शुभारंभ संतोदय सत्संग परिवार के अधिष्ठाता परम संत सद्गुरु आचार्य प्रेमनाथ सरस्वती स्फोटायन जी महाराज और ब्रह्मलीन माता सरस्वती देवी की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। तत्पश्चात आरती-पूजन हुआ और फिर भजन-प्रवचन की रसधार में श्रद्धालु देर रात तक आनंदित होते रहे। संत सच्चिदानंद जी महाराज के भावमय मधुर भजनों पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध नजर आए।
समागम में जौनपुर, वाराणसी, चंदौली समेत आसपास के कई जिलों से श्रद्धालु शामिल हुए। अरदास और भंडारे के साथ समागम ने विराम लिया। संचालन संसप के जिला प्रमुख डॉ तारकेश्वर देव पांडेय ने किया। आयोजन में श्री संजय पाठक, शिवानंद तिवारी, राममूर्ति यादव, केशव सिंह, अनिल मिश्रा, कमलेश यादव, बावन साव, बचाऊ कौवाल, वीरेंद्र शंकर सिंह, कौशल द्विवेदी, रामचंद्र द्विवेदी, मंगला प्रसाद, हरि शंकर सिंह, निर्मला सिंह, शकुंतला सिंह, संतोष सिंह टुन्नू, गुरु भजन सिंह, रोशन सिंह, राजेश कुमार, अनूप कुमार राय, गंगा मास्टर समेत सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।

Leave a Comment

News Express Bharat
291
वोट करें

भारत की राजधानी क्या है?

News Express Bharat