आधुनिकता की दौड़ मे मनुष्य मूल्य रहित हो चुका है: सन्त मिथिलेशनन्दिनी

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अमित मिश्रा

सहकारिता है ग्राम्य संस्कृति तो संतोष है समृद्धि-आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण

ग्राम्य संस्कृति,समृद्धि एवं जीवनबोध गोष्ठी को किया सम्बोधित

सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। जनपद में धार्मिक,आध्यात्मिक,दार्शनिक विचारक, व पीठाधीश्वर सिद्ध पीठ श्री हनुमन्निवास अयोध्या धाम के संत आचार्य मिथिलेशनन्दिनीशरण महाराज का आगमन मंगलवार को हुआ। वह ग्राम्य संस्कृति,समृद्धि एवं जीवनबोध गोष्ठी को किया सम्बोधित करते हुए मिथिलेशनन्दिनी ने कहा कि ग्रामीण जीवन ही भारत की मूल प्राण वायु है। ग्राम्य संस्कृति का अर्थ है जो हमे प्राप्त है उसके प्रति कृतज्ञ होना। ग्रामीण के वास्तविक संदर्भ को समझना होगा। विष्णु सहस्त्रनाम में स्वयं विष्णु जी को ग्रामीण कहा गया है। ग्राम शब्द का अर्थ ही है बाजार से रहित व्यवस्था। बाजार ने व्यक्ति से मूल्य को छीनकर एक यांत्रिक व्यवस्था में स्थापित कर दिया है। जबकि ग्राम्य संस्कृति समानुभूति आधारित सहकारिता की संस्कृति है। जिसमे बिचौलिए के लिए कोई जगह नहीं है। आज आधुनिकता के दौड़ मे नगरीय व्यवस्था में मनुष्य मूल्य रहित हो चुका है।

आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा कि ग्राम्य संस्कृति में ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जिससे अपशिष्ट उत्पन्न हो। ग्रामीण संस्कृति हर चीज को पचाने मे सक्षम है। ग्राम्य संस्कृति का जीवन बोध यही है कि हम अपने सुखों को कम करते हुए, एक समावेशी जीवन शैली के आधार पर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श भविष्य प्रदान करें। बाजार आधारित संस्कृति से इतर ग्राम्य संस्कृति औरजीवन बोध के द्वाराभारत के मौलिक चेतना में वापस आना होगा। और यहाँ कार्य लोक से संवाद द्वारा व्यक्ति के स्तर पर करना होगा।

इस माध्यम द्वारा ही भारत के संस्कृति एव्ं समृद्धि का संरक्षण होगा।पूज्य ने कहाँ की महाकुंभ को सरकारी योजना कहना भारत के सनातन धर्मभाव का अपमान, मिथिलेशनन्दिनीशरण मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महाराज ने कहा कि 60 से 70 करोड़ लोगों ने कष्ट सहकर स्नान करने महाकुंभ पहुंचे। महाकुंभ को सरकारी योजना कहना भारत के सनातन धर्मभाव का अपमान है। महाकुंभ में इतने श्रद्धालुओं को पहुंचना, यह भारत के धार्मिक भावना का प्रतिफल है कार्यक्रम का सफल संचालन कार्यक्रम संयोजक पंडित आलोक कुमार चतुर्वेदी ने किया।

इस कार्यक्रम में राहुल ,हर्ष अग्रवाल , कीर्तन ,पारस नाथ मिश्रा, जगदीश पंथी, प्रभात सिंह चंदेल , अरुणेश पांडे, लालजी तिवारी, अवधेश दीक्षित, दयाशंकर पांडे, धनंजय पाठक, प्रवीण पांडे, राज नारायण तिवारी,आनंद त्रिपाठी, प्रद्युम्न त्रिपाठी, डॉ अंजलि विक्रम सिंह, चित्रा जालान, अशोक कुमार मिश्रा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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