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आदिवासी के सब प्लान का पैसा, बंट रहा हैं कॉर्पोरेट घरानों को।

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अमित मिश्रा

  • 0 8 दिसंबर को दिल्ली में उप वर्गीकरण पर होगा राष्ट्रीय सम्मेलन
  • 0 एआईपीएफ दुध्दी तहसील कमेटी की बैठक हुई

म्योरपुर (सोनभद्र)। आदिवासियों के विकास के लिए बजट से दिया जाने वाला सब प्लान का पैसा देश के चुनिंदा कार्पोरेट घरानों को केंद्र सरकार द्वारा दिया जा रहा है। इस पैसे को नेशनल हाईवे, रोड ट्रांसपोर्ट, टेलीकम्युनिकेशंस, टेलीफोन टावर और लाइन लगाने, भारत नेट, न्यू एंड रिनवल एनर्जी, सोलर पावर, यूरिया, न्यू ट्रीटमेंट खाद, सेमीकंडक्टर निर्माण आदि कार्यों में सरकार बांटने में लगी है। इनका कोई सीधा संबंध आदिवासियों और दलितों के विकास से नहीं है। आज हालत इतनी बुरी है कि शिक्षा के अभाव के कारण सरकारी नौकरियों में एसटी के लिए आरक्षित सीटें खाली रह जा रही है। इसलिए उनके आर्थिक सशक्तिकरण पर जोर देना होगा और आरक्षण के साथ जमीन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, छात्रवृत्ति जैसे मदों पर धन के आवंटन को बढ़ाना होगा। यह बातें ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने रासपहरी में आयोजित तहसील कमेटी की बैठक में कहीं।
बैठक में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 01 अगस्त को अनुसूचित जाति-जनजाति के उप वर्गीकरण के फैसले पर 8 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारी पर विचार विमर्श हुआ। बैठक में तय किया गया कि दुध्दी तहसील से भी प्रतिनिधि दिल्ली सम्मेलन में हिस्सेदारी करेंगे। बैठक की अध्यक्षता मजदूर किसान मंच के जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद गोंड और संचालन एआईपीएफ के जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका ने किया।
बैठक में इस बात पर गहरा शोभ व्यक्त किया गया की सरकार ने आदिवासियों के रोजगार के लिए बने मनरेगा के मद में राष्ट्रीय स्तर पर करीब 1100 करोड रुपए की कटौती कर दी है। इसी प्रकार जन आरोग्य योजना आयुष्मान कार्ड के मद को भी घटा दिया गया है। आदिवासी बच्चों के मेडिकल एजुकेशन के बजट में करीब 4500 करोड रुपए और स्वास्थ्य के कुल बजट में कटौती की गई है। आदिवासी छात्राओं के छात्रावास के लिए महज 10 लाख रुपए बजट में आवंटित किए गए हैं। आदिवासी बच्चों की रिसर्च फेलोशिप के बजट में 4 करोड रुपए की कटौती की गई है और आईआईटी में पढ़ने वाले आदिवासी बच्चों की सहायता के लिए में 20 करोड़ की कटौती की गई है। यहां तक कि जो पैसा मुफ्त अनाज के लिए आवंटित किया जाता है उसमें भी करीब 2600 करोड रुपए की कटौती की गई है। इस तरह से भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने आदिवासियों पर चौतरफा हमला बोला है। बैठक में कहा गया कि बिरसा मुंडा के नाम पर गांव-गांव आरएसएस और भाजपा द्वारा आयोजित किया जा रहे जनजातीय सम्मेलन महज नाटक है। सच्चाई यह है कि भारतीय जनता पार्टी आदिवासियों की जमीन, उनके लिए बजट में आवंटित धन और उनके विकास को सूदखोरों, ठेकेदारों और कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने में लगी है। इसीलिए इनसे सचेत रहने की जरूरत है। बैठक में एआईपीएफ जिला सचिव इंद्रदेव खरवार, जिला प्रवक्ता मंगरु प्रसाद श्याम, मजदूर किसान मंच के तहसील संयोजक रामचंद्र पटेल, युवा मंच की जिला संयोजक सविता गोंड, जिला अध्यक्ष रूबी गोंड, ठेका मजदूर यूनियन के जिला मंत्री तेजधारी गुप्ता, गुंजा गोंड, सुगवंती गोंड, राजकुमारी गोंड, मनोहर गोंड रामविचार गोंड, महावीर गोंड, बिरझन गोंड, तुलसी गोंड आदि ने अपनी बात रखी।

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