श्रीराम चरित मानस के तीसरे दिन हुआ श्रीराम-सीता विवाह,श्रद्धालुओ ने बरसाये फूल

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अमित मिश्रा

आचार्य सूर्य लाल मिश्र,भूदेव सहित स्त्रियों ने गाये बधाई एवं विवाह गीत

विवाह अवसर पर प्रसाद स्वरूप वितरित किया गया श्रृंगार सामग्री

श्रीराम विवाह की दिखाई गई आकर्षक झांकी।

सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। जनपद मुख्यालय पर स्थित आरटीएस क्लब मैदान में चल रहे रामचरितमानस नवाह पाठ के तृतीय दिवस के अवसर पर मानस पण्डाल में श्रीरामजानकी का विवाह उत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
लेत चढ़ावत खैचत गाढै। काहू न लखा देख सब ठाढे।। तेहि छन राम मध्य धनु तोरा। भरे भुवन धुनि घोर कठोरा।।
इसी दोहे के साथ शिव का धनुष भंग हुआ और लोगों में उत्सव मनाया जाने लगा देवी- देवता दर्शन के लिए आने लगे और माता जानकी- भगवान श्रीराम ने एक दूसरे के गले में वरमाला डाला, विवाह संस्कार पूर्ण हुआ हुआ।


झांझ, मृदंग शंख शहनाई। मेरी री ढोल दूदूभी सुहाई।। बाजहि बहू बाजने सुहाये। जह तह जुबतिनह मंगल गाये।।
आचार्य सूर्य लाल मिश्र के मुखारविंद उद्धृत गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के बालकांड की चौपाई के साथ मानस पांडाल में भक्तजनों में हर्ष का माहोल छा गया और उपस्थित भक्तजन बधाई एवं विवाह गीत गाने लगे। श्री राम के विवाह उत्सव के खुशी में प्रसाद स्वरूप स्त्रियों में श्रृंगार की वस्तुएं वितरित की गई और राम विवाह की झांकी बड़े सुरुचि पूर्ण ढंग से सजाई गई।

राम- लक्ष्मण-परशुराम संवाद, राजा दशरथ के पास जनक जी का दूत भेजना, अयोध्या से बारात का प्रस्थान, बारात का जनकपुर में आना और स्वागत आदि, सीता राम विवाह, अयोध्या लौटना और अयोध्या में आनंद आदि प्रसंगो का संगीतमय गायन मुख्य व्यास एवं भूदेवो ने किया। राजा जनक के रूप मे विनय अग्रवाल और उनकी धर्मपत्नी सुनैना के रूप में श्रीराम की कृपा विधि के उपरांत पाव पखारकर कन्यादान करने के रस्म को निभाया। जयकारा और पटाखों की ध्वनि से नगर गूंज रहा है,
राजा दशरथ के रूप में सत्यपाल जैन ने बारातियों के साथ मंडप की शोभा बढ़ा रहे थे।


इसके एक दिन पूर्व रात्रि प्रवचन में प्रसिद्ध कथा व्यास नीरज जी भैया द्वारा राम जन्म की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि नारद मुनि ने भगवान को श्राप दिया था उसी श्राप के कारण भगवान का अवतार रावण के वध के लिए हुआ साथ ही उन्होंने विभिन्न प्रकार के सोहर और भजनों को गाया जिससे महा उपस्थित श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने कहा कि राम जी के जन्म का कारण मनु और शतरूपा की तपस्या थी।


इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष सत्यपाल जैन, महामंत्री सुशील पाठक, अशोक मिश्रा, डॉ धर्मवीर तिवारी, इंद्रदेव सिंह, कृष्ण मुरारी गुप्ता, रवि अग्रवाल, बिरखा अग्रवाल, संगम गुप्ता, कृपा नारायण मिश्रा, मिठाई लाल सोनी, राकेश त्रिपाठी, अजीत रावत, अवधेश पाण्डेय, कन्हैया पाण्डेय, प्रशांत जैन, राहुल पाठक, हर्षवर्धन केसरवानी अन्य लोग उपस्थित रहें।

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