अमित मिश्रा
गीता जयंती समारोह समिति सोनभद्र ने किया था यह आयोजन
सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। जनपद में गीता जयंती समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें गीता में वर्णित यज्ञ विषय पर आयोजित गोष्ठी में विद्वतजनों ने अपना विचार व्यक्त किया। इसके अलावा पांच विभूतियों को गीता प्रचार प्रसार सम्मान से सम्मानित किया गया।
मुख्य वक्ता गीता जयंती समारोह के संयोजक डॉक्टर वी.सिंह ने कहा कि गीता के अनुसार यज्ञ यौगिक क्रिया है। यह यज्ञ किसी तत्वदर्शी महापुरुष के सानिध्य में साधक के हृदय देश में मन और इंद्रियों के संयम द्वारा संपन्न होता है। यह शुद्ध साधना परक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि गीता के अनुसार “यज्ञशिष्टामृतभुजो यान्ति ब्रह्म सनातनम” यज्ञ जिसे अवशेष छोड़ता है वह है अमृत। उसकी प्रत्यक्ष जानकारी ज्ञान है। उस ज्ञानामृत को भोगने अर्थात प्राप्त करने वाले योगीजन शास्वत, सनातन परब्रह्म को प्राप्त होते हैं। अर्थात यज्ञ कोई ऐसी वस्तु है जो पूर्ण होते ही सनातन परब्रह्म में प्रवेश दिला देती है।
संयोजक डाक्टर कुसुमाकर ने कहा कि गीता के अनुसार यज्ञार्थात्कर्मणो अन्यत्र लोकोअयं कर्मबंधन:। अर्थात यज्ञ की प्रक्रिया ही कर्म है। पूर्व में जितने भी महापुरुष हुए हैं सभी ने इसी प्रकार यज्ञ कर्म को करके परम नैष्कर्म की स्थिति को प्राप्त किया है।
इसी प्रकार से पारस नाथ मिश्र ने कहा कि यज्ञ आध्यात्मिक प्रक्रिया है। बालेश्वर यादव ने यथार्थ गीता के आलोक में यज्ञ की विशद व्याख्या किया। आगन्तुकों का स्वागत अरुण चौबे ने किया। गोष्ठी का संचालन जगदीश पंथी ने किया।
वही गीता के अविनाशी योग के प्रचार-प्रसार में लगे पाँच महानुभावों को गीता जयंती समारोह समिति द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता आत्म प्रकाश त्रिपाठी, प्रधानाध्यापक प्रदीप सिंह पटेल, अध्यापक नरेन्द्र प्रताप सिंह, रमेश थरड और मनीष कुमार श्रीवास्तव को शाल ओढ़ाकर तथा सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इस मौके पर उमाकांत मिश्रा, आशुतोष कुमार, रमेश प्रताप सिंह, राणाप्रताप सिंह, नरेन्द्र पांडेय, विमल कुमार चौबे,दीपक कुमार केसरवानी, गणेश पाठक, चंद्रकांत तिवारी आदि मौजूद रहे।