नौगढ़ में बारिश की मार, रपटा टूटने से 40 गांवों का संपर्क टूटा
संवाददाता कौस्तुम केशरी “लकी”
नौगढ़ (चंदौली)। तेज बारिश और जलभराव के कारण सैकड़ों बीघा फसल पानी में डूब गई है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। रपटा पर पानी का बहाव इतना तेज है कि यह किसी भी समय टूट सकता है, जिससे और भी ज्यादा नुकसान हो सकता है। किसानों के लिए यह स्थिति बहुत चिंताजनक है और उन्हें अपनी फसलों के नुकसान की चिंता सता रही है।
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में लगातार चार घंटे तक हुई मूसलाधार बारिश ने नौगढ़ और आस-पास के गांवों के जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है। बारिश के बाद ब्रह्मनाल ड्रेन और खजूरो नाले पर बने रपटा पर पानी का तेज बहाव शुरू हो गया, जिससे नौगढ़- बरवाडीह और नौगढ़-मगरही मार्ग से जुड़े करीब 40 गांवों का संपर्क मुख्यालय से कट गया है।
आपको बता दें कि दोनों रपटा के ऊपर से पानी बहने के कारण आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया है, और ग्रामीणों के लिए जीवन एक बार फिर मुश्किल हो गया है। रपटा डूबने के कारण गांव के बीमार, बुजुर्ग और कमजोर लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। उन्हें अब मुख्यालय या बाजार पहुंचने के लिए 20 किलोमीटर का लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है। सड़क पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से रुक चुकी है, औरजलभराव के कारण पैदल चलना भी जोखिम भरा हो गया है। यहां तक कि दुपहिया वाहन और साइकिल चालकों के लिए भी रपटा का रास्ता बंद हो चुका है। ग्रामीणों के लिए यह एक गंभीर समस्या है, क्योंकि यही मार्ग उनके लिए मुख्य बाजार और आवश्यक सेवाओं तक पहुंचने का एकमात्र साधन है।
बताया जा रहा है कि तेज बारिश और जलभराव के कारण सैकड़ों बीघा फसल पानी में डूब गई है। जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। रपटा पर पानी का बहाव इतना तेज है कि यह किसी भी समय टूट सकता है। अगर रपटा टूटता है, तो इन गांवों का संपर्क पूरी तरह से कट जाएगा, और आने वाले समय में ग्रामीणों को गंभीर आवागमन की समस्या का सामना करना पड़ेगा।
पुल निर्माण की मांग सालों से अनसुनी
जरहर गांव के पास ब्रह्मनाल ड्रेन पर बना यह रपटा यहां के गांवों के लोगों के लिए जीवनरेखा जैसा है, लेकिन यह हर साल बारिश में डूब जाता है। वर्षों से इस स्थान पर पुल निर्माण की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। जरहर गांव के प्रधान प्रतिनिधि अशोक यादव ने चंदौली समाचार को बताया कि पुल निर्माण की मांग कई सालों से लंबित है, और ग्रामीण मजबूर होकर इस असुरक्षित रपटे पर सफर करने को विवश हैं।बारिश के मौसम में यह समस्या और भी विकराल रूप ले लेती है, जिससे ग्रामीणों का जीवन संकट में पड़ जाता है।
युवाओं के लिए नदी बनी खेल का मैदान
हालांकि ग्रामीणों के लिए यह स्थिति कठिन है, लेकिन कुछ युवा इस चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। खजूरो नाले में जलभराव के बाद कई युवा नदी में छलांग लगाकर पानी का आनंद ले रहे हैं। उनके इस खेल को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट रही है, लेकिन इस तरह के जोखिम भरे खेलों से कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है।इसके बावजूद प्रशासन ने अभी तक इस क्षेत्र में कोई रोकथाम या सुरक्षा उपाय नहीं किए हैं। रपटा पर पानी का बहाव इतना तेज है कि वहां से गुजरना खतरनाक हो गया है। हालांकि पैदल और दुपहिया वाहनों के लिए रास्ता पूरी तरह बंद हो चुका है, लेकिन कुछ चार पहिया वाहन अब भी जोखिम उठाकर गुजर रहे हैं। इससे कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है।ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को इस पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और रपटा की जगह स्थायी पुल का निर्माण करना चाहिए ताकि हर साल बारिश के मौसम में लोगों को इस समस्या का सामना न करना पड़े।