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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विभिन्न मांगों को लेकर किया प्रदर्शन

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अमित मिश्रा

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का राज्यव्यापी “न्याय दिवस”

सोनभद्र । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रांतीय आवाहन पर कार्यकर्ताओं ने संयुक्त जिला चिकित्सालय के सामने से जूलुस निकाल कर जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंच कर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।

इस अवसर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला काउंसिल की ओर से ज्ञापन में मुख्य रूप से कहा गया है कि जनगणना को 10 वर्ष के बाद 2021 में संपन्न होना चाहिए था परंतु कोरोना के कारण ऐसा नहीं हो सका। लेकिन कोरोना काल के बीत जाने के बाद भी 2024 का भी आधा वर्ष गुजरने के बाद भी सरकार की तरफ से राष्ट्रीय जनगणना की कोई कार्यवाही दिखाई नहीं दे रही है। भारतीय जनता पार्टी शायद डरती है ।

भारतीय जनता पार्टी सबका साथ सबका विकास का नारा देती रहती है परंतु वह खोखला है। सदियों सदियों से हमारे देश की बनावट ऐसी है कि उसके सामाजिक जीवन में असमानता मौजूद है । भारत ही एकमात्र देश है जिस देश में अमीर गरीब का अंतर तो है ही साथ ही साथ व्यक्ति की पैदाइश से उसकी जाति से उसका भविष्य तय होता है। ऊंच नीच की व्यवस्था से करोड़ों लोगों को समाज ने सामाजिक बराबरी से वंचित कर दिया।

आधुनिक भारत में संविधान निर्माताओं ने उसको तोड़ा और 1950 में रिजर्वेशन की व्यवस्था की फिर इस व्यवस्था का विकास हुआ और विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने पिछड़ों का आरक्षण सुनिश्चित किया। हमारे समाज में जाती का ऊंच नीच मौजूद है किसी भी आधुनिक समाज में उसको स्वीकार नहीं किया जा सकता ।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ऊंच-नीच के सामाजिक विचार की और वास्तविकता की घोर विरोधी है।सरकारों का फर्ज है कि जो सामाजिक अन्याय से पीड़ित रहे हैं उनको सामाजिक न्याय मिले। सामाजिक न्याय तभी मिल सकता है जब देश के 140 करोड लोगों की वैज्ञानिक सांख्यिकी के आंकड़े हमारे पास मौजूद हो और समाज को पता हो कि किस जाति के कितने लोग हैं और कितने लोग पिछड़े है या कितने लोगों को पिछड़ा रखने के लिए अन्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था ने मजबूर किया है । फिर ऐसे यत्न किए जाएं कि वह सामाजिक पिछड़ेपन से उभरे और एक ऐसी व्यवस्था हो कि समाज का हर एक प्राणी सामाजिक रूप से बराबर हो और चाहे इस काम के लिए 10-20 पीढ़ियां बीत जाएं या सैकड़ो वर्ष बीत जाए पर यह काम एक न एक दिन प्रारंभ किया ही जाना चाहिए।


संविधान निर्माताओं ने इस व्यवस्था को 1950 में प्रारंभ कर दिया था अब इसको और आगे ले चलने की आवश्यकता है।इसलिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मांग करती है कि पांच सितंबर शिक्षक दिवस है और यह शिक्षक दिवस हम “न्याय दिवस” के रूप में मना रहे हैं। इस नारे का अभिप्राय है कि देश के नागरिकों को जो पिछड़े हैं उन्हें सामाजिक न्याय प्राप्त हो। सामाजिक न्याय मिलेगा तो गरीबी और अमीरी की भी असमानता दूर होगी।


हमारे प्रदेश के किसान, मजदूर, दलित, पिछड़े,छात्र,युवा महिलाए व गरीब वर्ग के लोग पूरी तरह से सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, रूप से निचले पायदान पर खडे होने को मजबूर हैं । श्रमिक समाज के 88% पिछड़े दलित ही मूल रूप से किसान, मजदूर हैं जो वास्तविक गणना न होने से अपने अधिकार से वंचित हैं।इन्ही के लडके बेरोजगारी व शिक्षा के अभाव में दूर दूर भटकने को मजबूर हैं ।निजी शिक्षा व चिकित्सा लूट के अड्डे बन गए हैं ।राज्य एवं केन्द्र के अनेकों विभाग भ्रष्टाचार मे सराबोर है । वहीं दूसरी ओर बजट का बन्दर बांट जारी है । अधिकतर निर्माण कागजी व गुणवत्ता विहीन है ।आर्थिक तंगी के चलते आये दिन किसान, मजदूर , महिलाएं आत्महत्या को मजबूर है । ग्राम पंचायत, जिला पंचायत ,नगर निगम, नगर पंचायतों के बजट को मिलजुल कर डकारा जा रहा है।


इस अवसर पर पार्टी के जिला सचिव कामरेड आर के शर्मा, सह सचिव कामरेड देव कुमार विश्वकर्मा, कामरेड प्रेम चंद्र गुप्ता, कामरेड दिनेश कुमार गोंड, कामरेड अमर नाथ सूर्य, कामरेड हृदय नारायण, कामरेड बसावन गुप्ता, कामरेड राम सागर शर्मा, कामरेड बूटन प्रसाद, कामरेड बंधू सिंह गोंड, कामरेड बाबू लाल चेरो, कामरेड चंदन प्रसाद पासवान, कामरेड बुद्धी राम खरवार, राम विलास, कामरेड सूरज वंशल, इंद्रवती, रजवंती व हीरावती आदि प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित रहे ।

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