राजन
श्मशान घाट का जिला पंचायत ने दिया ठेका तो डोम समाज ने शुरू किया भूख हड़ताल
मिर्जापुर। मोक्षदायिनी काशी में शव दाह करने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाता। लेकिन छोटी काशी कहे जाने वाले जिले के भोगांव श्मशान घाट पर प्रति मुर्दा 500 रुपया वसूला जा रहा है। लोगों ने कहा हे भगवान, अब मुर्दा जलाने पर भी टैक्स वसूला जा रहा है। मुर्दा जलाने पर वसूली का ठेका जिला पंचायत ने किया हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष राजू कन्नौजिया ने कहा कि मेरा वश चले तो वसूली शून्य कर दिया जाय। सरकारी कायदे कानून के तहत अधिकारी ने टेंडर निकाला है जो एक वर्ष का ठेका 5 लाख 5 हजार रुपये में हुआ है। टेंडर में एक हजार रुपया प्रति शव रसीद काटने को कहा गया है जिसे आधा कराया गया है। जनता को राहत देने के लिए इस पर विचार किया जायेगा।
भोगाँव श्मशान घाट पर 1 सितम्बर से वसूली के साथ ही आंदोलन आरम्भ कर दिया गया है। डोम एवं धईकार समाज के लोग धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
छोटी काशी के नाम से विख्यात भोगाँव का श्मशान घाट इन दिनों चर्चा का विषय बन गया है। घाट पर शव दाह के लिए आने वालों से 500 रुपया बकायदा रसीद काटकर वसूला जा रहा है। जिसे लोग आम भाषा में मुर्दा टैक्स बता रहे है।
घाट पर स्थानीय के अलावा पड़ोसी जनपद भदोही, जौनपुर के साथ ही मध्य प्रदेश से लोग दाह संस्कार करने आते हैं। पहले नदी का पूरा तट श्मशान घाट था। अब कुछ पक्का निर्माण सरकार ने कराया तो अब मुर्दो का भी रसीद काटा जाने लगा।
जिसे लेकर लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। अधिवक्ता अंबुज द्विवेदी ने कहा कि प्रकृति ने पूरा गंगा तट दिया। जिंदा रहते हर कृत्य पर टैक्स लेने वाली सरकार मुर्दा से भी अब टैक्स ले रही हैं। बताया कि वाराणसी में इस तरह का कोई टैक्स नहीं लगता और न ही रसीद काटी जाती हैं। जिले में तो हद कर दिया गया। मुर्दो का भी टैक्स लिया जाना अत्यंत निंदनीय है। जो हिंदू समाज पर कभी लगाए गए जजिया कर की याद दिलाता है।
कोन विकास खण्ड के भोंगाव श्मशान घाट पर अब मृतक का अंतिम संस्कार करने के लिए पहले रसीद कटवाना पड़ रहा है। जबकि नगर के चौबे श्मशान घाट पर भी ऐसा कोई प्रविधान नहीं है। यहाँ लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं खुद लकड़ी लाते हैं । डोम की मदद से चिता सजाते हैं। कुछ डोम शव यात्रा में शामिल लोगों को देख कर आग देने का दाम बताते है जबकि कुछ को जो मिल गया वही ठीक। इसी के साथ अंतिम संस्कार कर लोग लौट जाते हैं।
भोगाँव श्मशान घाट का ठेका दिये जाने के बाद मुर्दा लाने पर बहस का बिंदु बन गया है। डोम परिवारों में आक्रोश अलग व्याप्त है, ठेका को समाप्त किए जाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल जारी है।
डोम और धईकार समाज ने सरकारी ठेके वसूली के निर्णय पर आश्चर्य जताया। कहा कि भारतीय संस्कृति में हिंदू धर्म के अनुसार मृतको के दाह संस्कार के लिए अग्नि देने का काम सदियों से डोम समाज ही करता आ रहा है। अब उसके अधिकार को छिनने के साथ ही मरने वाले का टैक्स लिया जाना हिंदू समाज के लिए एक गंभीर प्रश्न है।
हिंदू संस्कार में मान्यता है कि डोम परिवार के द्वारा दिये गये अग्नि से ही दाह संस्कार करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। जिसे समाज के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी से करते आ रहे हैं। यही उनके परिवार के भरण पोषण का सहारा हैं।
मौके पर पहुंचे उप जिलाधिकारी आशाराम वर्मा ने प्रदर्शनकारियों से वार्ता किया और लोगों की मांग को ऊपर तक पहुंचाने का भरोसा दिया।