अमित मिश्रा
सोनभद्र। जिले भर के शिवालयों में सोमवार को विधि विधान से ब्रती महिलाओं ने की निर्जला एकादशी व्रत का पूजा अर्चना।
वही आचार्य सौरभ भारद्वाज ने बताया कि एकादशी व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। ये व्रत श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित है. ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। कठोर नियमों के कारण ये व्रत सभी एकादशी के व्रतों में से सबसे कठिन माना जाता है।
बता दें कि इस व्रत को बिना जल ग्रहण रखना होता है. साल भर में पड़ने वाली एकादशी के बराबर फल की प्राप्ति इस एक निर्जला एकादशी के व्रत रखने से होती है। अगर आप साल में पड़ने वाली 24 एकादशी के व्रत नहीं कर पाते है तो ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली निर्जला एकादशी का आप व्रत आप रख सकते है। निर्जला एकादशी पर दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है निर्जला एकादशी की तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 जून को सुबह 4 बजकर 43 मिनट से होगी जिसका समापन 18 जून यानि अगले दिन सुबह 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के कारण 18 जून (मंगलवार) को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। वहीं इसका पारण 19 जून को किया जाएगा। आचार्य सौरभ कुमार भारद्वाज ने बताया कि निर्जला एकादशी का महत्व शास्त्रों के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पांडव भाइयों में से भीम ने बिना जल ग्रहण किए निर्जला एकादशी का व्रत को रखा था। जिसके फल स्वरुप भीम को मोक्ष और लंबी आयु का वरदान मिला था।