अमित मिश्रा
सोनभद्र (उत्तर प्रदेश) । रविवार को विकास नगर राबर्टसगंज स्थित सोनांचल संघर्ष वाहिनी दल के केन्द्रीय कार्यालय पर आदिवासियों के भगवान विरसा मुंडा की 9 जून को सोनांचल संघर्ष वाहिनी दल ने सादगी ढंग से पुण्य तिथि मनाया।। उनके ऐतिहासिक क्रांतिकारी जीवन पर प्रकाश डालते हुए सोनांचल संघर्ष वाहिनी दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रोशन लाल यादव ने कहा विरसा मुंडा को पूरे देश का आदिवासी भगवान की तरह पूजता है।। 15 नवंबर 1875 को रांची के पास उलिहातु गाँव में विरसा मुंडा का जन्म हुआ था,आदिवासियों के हक अधिकार को लेकर जल जंगल जमीन की लड़ाई लड़ी थी।। 19 वी शताब्दी के के अंत में अंग्रेजों द्वारा कुटिल नीति अपनाकर आदिवासियों को लगातार जल जंगल जमीन और उनके प्राकृतिक संसाधनों से बेदख्ल करने लगे, यह सब देखकर विरसा मुंडा विचलित हो गए।। और अन्ततह 1895 में अंग्रेजों द्वारा लागू की गई जमींदारी प्रथा और राजस्व व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी, यह आदिवासी अस्मिता, स्वायत्तता और संस्कृति बचाने के लिए महा संग्राम सीधे अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध में बदल गया जिसे विरसा मुंडा का उलगुलान के नाम से जाना जाता है।। इसी विद्रोह के चलते आदिवासियों ने अपना भगवान माना और आदिवासियों के महानायक बनकर उभरे।। अंग्रेजो ने उन्हें खड़यंत्र कर अपने ही आदमी की मुखबिरी से अंग्रेजो ने पकड़ लिया और रांची जेल में डाल दिया, इसिहास कार बताते हैं कि 9 जून की सुबह रांची जेल में विरसा मुंडा को उल्टी शुरू हुई और कुछ ही पल में उनकी जीवन लीला समाप्त हो गई।। कयास लगाया गया की उन्हें जहर देकर मार दिया गया की जेल से छूटने पर विरसा मुंडा फिर से विद्रोह न कर दे।। रोशन लाल यादव ने यह भी कहा कि आज़ादी के बाद भी आज सोनांचल के लाखों आदिवासी इसी तरह की व्यथा के दौर से गुजर रहें हैं उनकी सुधि लेने वाला कोई भी नहीं है।। समय रहते सरकार सोनांचल के आदिवासियों की बुनियादी समस्यायों को गंभीरता से ले, नही तो कब आदिवासी सड़क पर उतर कर अपनी बात रखने को विवश होगा कोई कुछ नहीं कह सकता।। इस पुण्य तिथि के अवसर पर बिंदू यादव एडवोकेट, संदीप जायसवाल, बलवंत यादव, अन्नू पाल, सरोज यादव आदि लोग मौजूद थे।