बेटा-बेटी नही करे फर्क, मां की वह कोख पवित्र जिससे बेटी लेती जन्म:आचार्य दिलीप

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अमित मिश्र

सोनभद्र।जनपद मुख्यालय के बिच्छी गांव में चल रहे श्रीराम कथा के सातवें दिन कथावाचक दिलीप कृष्ण भारद्वाज ने भक्तों को श्रीरामकथा का रसपान कराया। कथावाचक दिलीप कृष्ण भारद्वाज ने सीता हरण, लंका दहन, राम- रावण युद्ध, विभीषण का राज्याभिषेक, भगवान राम का राज्याभिषेक प्रसंग का वर्णन किया।

उन्होंने बताया कि धर्म का मूल आधार दया और करुणा हैं, दोनों आपके जीवन में हमेशा रहनी चाहिए। आचार्य ने कहा कि महिलाओं को पीला वाला सिंदूर जरूर लगाना चाहिए। किसी दिन लगाएं या नही पर शनिवार को अवश्य लगाएं। फैशन के इस दौर में महिलाएं पीला सिंदूर लगाना तो छोड़ रही हैं, लेकिन सिंदूर लगाने से यश, कीर्ति आती है। ये बातें तेतरी टोली में आयोजित रामकथा के सातवें दिन दिलीप कृष्ण भारद्वाज ने कहीं।

उन्होंने कहा कि हम बेटा-बेटा चिल्लाते हैं, लेकिन वास्तव में बेटी ही मां-बाप का कल्याण कर सकती है। जिस कोख से बेटी जन्म लेती है, वह कोख पवित्र हो जाती है। बेटी आंगन में कोयल की तरह कूकती है। जब पिता थके हारे घर आते हैं, तो बेटी ही दवा से लेकर हर चीज का ख्याल रखती है। बेटी पिता के दुख नहीं देख सकती। बेटी काफी सहनशील होती है। वह घर के सारे दुखों को गंभीर होकर समझती है। इसलिए बेटी की भ्रूण हत्या मत करो। अनर्थ हो जाएगा। शनिवार को कथा स्थल पर के डी होटल के मालिक संजय देव पांडेय ने अपनी पत्नी के हवन पूजन कर शुरू किया एवम् अंतिम में आरती किया। वही इस अवसर पर राम लक्ष्मण सीता की मनोहारी झांकी निकाली गई।

इस अवसर पर एडवोकेट पवन कुमार सिंह, प्रभाकर पाण्डेय, राजेश कुमार सिंह सरोज कुमार पटेल सृजन पांडे धर्मेंद्र कुमार आदि कथा श्रोता उपस्थित रहे।

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