रॉबर्ट्सगंज का बाईपास : कागजों में अटका विकास का रास्ता

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

पी के चौबे

O – रॉबर्ट्सगंज का बाईपास: सिर्फ कागज़ों में सिमटा सपना
O – 17 किमी लंबा बाईपास अधर में, चुनावी वादों तक ही सीमित

O – रॉबर्ट्सगंज बाईपास: वादों में बुलंद, हकीकत में मंद

सोनभद्र। रॉबर्ट्सगंज नगर के मुख्य बाजार को जाम से निजात दिलाने और व्यापारिक अस्तित्व को बचाने के लिए प्रस्तावित 17 किमी लंबा बाईपास आज भी हकीकत बनने के इंतजार में है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने करीब 59 करोड़ रुपये की लागत से बाईपास निर्माण का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा था, लेकिन मंजूरी की मुहर अब तक नहीं लग पाई।

    चुनावी घोषणाओं का हश्र: वादे हवा, काम ज़मीन से नदारद

    नगर पालिका और विधानसभा चुनावों में बाईपास का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया। नेताओं ने जनता से वादा किया कि बाजार को उजड़ने से बचाने और जाम से मुक्ति दिलाने के लिए बाईपास जल्द बनेगा। पर चुनावी माहौल थमते ही बाईपास का मुद्दा भी ठंडा पड़ गया। जनप्रतिनिधि, जो कभी इस मुद्दे को अपनी प्राथमिकता बताते थे, अब मौन साधे बैठे हैं।

    बाजार का अस्तित्व बचाने की लड़ाई

    मिर्जापुर के कलवारी से लेकर घोरावल, रॉबर्ट्सगंज, रामगढ़ होते हुए खलियारी तक के मार्ग को चार साल पहले स्टेट हाईवे का दर्जा मिला। इसके चौड़ीकरण के लिए पहले ही निशानदेही हो चुकी है, लेकिन धर्मशाला चौक से रेलवे क्रासिंग तक के क्षेत्र में चौड़ीकरण का मतलब सैकड़ों मकानों का उजड़ना होगा। व्यापारी वर्ग और स्थानीय नागरिकों के विरोध के कारण बाईपास का विकल्प सुझाया गया।

    आंदोलन के बावजूद मंजूरी अधर में

    बाईपास निर्माण को लेकर नगर पालिका चुनाव से पहले बड़े स्तर पर आंदोलन हुआ। व्यापारियों और स्थानीय लोगों ने सड़क चौड़ीकरण का कड़ा विरोध करते हुए बाईपास की मांग की। लोक निर्माण विभाग ने 17 किमी लंबा बाईपास बनाने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा, लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं हो सका।

    बाईपास का स्वरूप

    बाईपास का आरंभ घोरावल रोड पर कैथी के पास से होगा, जो वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग को पार करते हुए पन्नूगंज रोड से जुड़ेगा। कुल 17 किमी लंबाई वाले इस बाईपास पर 59 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है।

    अधिकारियों का बयान

    शैलेश सिंह ठाकुर, एक्सईएन-पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड, ने बताया,
    “रॉबर्ट्सगंज नगर के बाहर से करीब 17 किमी लंबा बाईपास निर्माण के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। मंजूरी मिलने पर ही आगे की कार्यवाही संभव है।”

    सवाल: कब पूरा होगा सपना?

    “रॉबर्ट्सगंज के नागरिकों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि चुनावी वादों में जोर-शोर से उठाया गया बाईपास मुद्दा अब क्यों ठंडा पड़ गया है। स्थानीय लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या बाईपास का सपना सिर्फ चुनावी वादों तक ही सीमित रहेगा या हकीकत भी बनेगा”?

    बाईपास निर्माण की मांग वर्षों से जनता की प्राथमिकता में है। बावजूद इसके, जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और शासन की अनदेखी ने इस मुद्दे को केवल चुनावी जुमला बना दिया है। अब देखना यह है कि क्या आने वाले चुनावों में फिर से यह मुद्दा उभरकर सामने आएगा या फिर जनता को वास्तविक राहत मिलेगी।

    Leave a Comment

    1214
    वोट करें

    भारत की राजधानी क्या है?