अमित मिश्रा
सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। दसवें सिक्ख गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह के दो छोटे पुत्रों जोरावर सिंह व फतेह सिंह की स्मृति में वीर बाल दिवस 21 दिसंबर से 27 दिसंबर तक शहीदी सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। आज सिख संगत एवं गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा सोनभद्र नगर की तरफ से स्वर्ण जयन्ती चौराहे पर चाय व नाश्ता का स्टॉल लगाया गया।
इस दौरान वक्ताओ ने कहा कि गुरु गोविन्द सिंह की राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत- देश को पहले रखने- के प्रति अटूट प्रतिबद्धता एक गहन संकल्प के रुप मे प्रति ध्वनीत होती है। श्री गुरु गोविन्द सिंह के चार पुत्र अर्थात साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर और साहिबजादा फतेह सिंह इस प्रतिबद्धता का उदाहरण देते है। मुगल सेना ने गुरु गोविन्द सिंह की सेना पर हमला कर दिया आनन्दपुर साहिब किला संघर्ष का प्रारंम्भिक बिन्दु था। सिरसा नदी के तट पर एक लंबी लड़ाई के बाद परिवार विभाजीत हो गया, बाद मे नवाबो ने साहिबजादो को इस्लाम अपनाने के लिए कहा लेकिन उन्होने इन्कार कर दिया,अपने धर्म के प्रति अपने प्रेम की अटूट श्रद्धा को प्रदर्शित किया।
इन जबाजो के सामने एक ओर मजहबी कट्टरता मे अंधी शक्तिशाली मुगल सल्तनत थी वहीं दूसरी ओर ज्ञान से जगमगाते और भारत के प्राचीन सिद्धांतो के अनुसार जीने वाले हमारे गुरु श्री गोविन्द सिंह थे। एक ओर आतंकी और मजहबी कट्टरता की पराकाष्ठा थी तो दूसरी ओर आध्यात्मिकता की पराकाष्ठा और हर इंसान मे ईश्वर को देखने की दयालुता थी। मुगलों के पास लाखों की सेना थी तो गुरु गोविन्द के वीर साहिबजादों के पास साहस था वे अकेले होते हुए भी मुगलों के सामने नही झुके तभी मुगलों ने उन्हे जिंदा दीवार मे चुनाव दिया यह इनकी वीरता ही है जो सदियों से प्रेरणा का श्रोत बनी हुयी है।
गुरु गोविंद सिंह के इन बच्चो का यह दृढ़ संकल्प औरंगजेब और उसके अनुयायियों को एक शक्तिशाली संदेश देता है कि युवा पीढ़ी क्रूरता के आगे झुकने से इंकार करती है और देश का मनोबल को बनाये रखने के लिए दृढ़ संकल्पित रहती है। यह राष्ट्र की नियति को आकार देने मे युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है जिससे वीर बाल दिवस को अतिरिक्त महत्व मिलता है।
भारतीय इतिहास में इस घटना को बाद मे साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह द्वारा दिये गये सर्वोच्च बलिदान के रुप मे याद किया गया। धर्म परिवर्तन के लिए जब एक छः साल और नौ साल के बच्चों के ऊपर मुगलों द्वारा दबाव बनाया गया तो उन्होने बहुत बहादुरी से बोलते हुए कहा कि जोरावर जोर से बोला, फतेह सिंह शोर से बोला, धरो ईंटे भरों गारे, चिनों दीवार हत्यारे हमारी सांस बोलेगी हमारी लाश बोलेगी यही दीवार बोलेगी हजारों बार बोलेगी जो बोले सो निहाल
इस मौके पर अजीत सिंह भंडारी ,पृथ्वी पाल सिंह गिल, सुरेंद्र सिंह भंडारी, त्रिलोक सिंह, विष्णु सिंह, राजकुमार सिंह ,गुरजीत सिंह, मनमीत सिंह, बलविंदर सिंह, रवि,जसकीरत सिंह , अवनीत सिंह आदि मौजूद रहे।