गुरु शिष्य की परंपरा, गुरु पूर्णिमा के मौके पर रामनगरी में श्रद्धा और आस्था शबाब पर

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अयोध्या (उत्तर प्रदेश)। गुरू गोविन्द दोऊ खड़े काके लागूं पांय, बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय,” गुरु शिष्य की परंपरा का महापर्व गुरु पूर्णिमा के मौके पर रामनगरी में श्रद्धा और आस्था अपने पूरी शबाब पर है सुबह से ही श्रद्धालु अयोध्या पहुंच कर सरयू नदी में स्नान कर मठ मंदिरों में दर्शन पूजन कर रहे हैं गुरु पूर्णिमा के पावन मौके पर अपने-अपने गुरु का पूजन कर उनका आशीर्वाद ले रहे हैं गुरु शिष्य के महापर्व गुरु पूर्णिमा का अयोध्या में विशेष महत्व है कहते हैं कि भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ का पूजन कर इस परंपरा की शुरुआत की थी और प्राचीन परंपरा का आज भी रामनगरी में निर्वहन होता है।

रामनगरी के सभी मठ मंदिरों में साधु संत अपने-अपने गुरु महाराज की पूजा कर रहे हैं और इसके पश्चात ही दुर दराज से अयोध्या पहुंचे श्रद्धालु भी अपने-अपने गुरु स्थान पर अपने गुरु का आशीर्वाद ले रहे हैं इस दरमियान रामनगरी गुरु पूर्णिमा के भब्य महोत्सव में शरा बोर है आज का दिन बेहद खास और महत्वपूर्ण है क्योंकि आज के दिन गुरु के आशीर्वाद से पूरे साल खुशहाली समृद्धि बनी रहती है गुरु शिष्य की परंपरा का निर्वहन रामनगरी में हो रहा है लेकिन इसकी गूंज पूरे देश में दिखाई दे रही है देश-विदेश के लोग अयोध्या पहुंचे हैं राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष से लेकर सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के साथ-साथ अयोध्या के सभी मठ मंदिरों पर गुरु पूर्णिमा के मौके पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा है।

हनुमानगढ़ी के महंत अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष ज्ञान दास ने कहा कि वशिष्ठ जी का नमन सबको ही करना चाहिए गुरु वशिष्ठ का पूजन आज के दिन भगवान राम ने किया था आज के दिन का विशेष महत्व है गुरु ही सर्व प्रमुख है सभी धर्म में गुरु का महत्व है ।

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