अमित मिश्रा(8115577137)
सोनभद्र। स्थानीय नगर में श्रीरामजानकी मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर कथा व्यास वृंदावन से पधारे आचार्य मनोहर कृष्ण महाराज के द्वारा सती चरित्र का विस्तार से वर्णन किया गया। उन्होंने ने कथा में बताया कि ध्रुव जी महाराज 5 वर्ष की अवस्था में ही वन में जाकर के 5 महीने कठोर तपस्या करके भगवान नारायण को प्रकट किया आगे चलते हुए भक्त प्रहलाद 7:30 वर्ष की अवस्था में ही नरसिंह भगवान को प्रकट कर लिया भजन करने का कोई उम्र नहीं है कोई अवस्था नहीं है जब चाहे श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान की भक्ति करके भगवान को हम प्रकट कर सकते हैं।
वही आगे चलते हुए गजेंद्र उपाख्यान गजेंद्र की 100 पत्निया हजार पुत्र थे लेकिन अंतिम समय में ना पुत्र साथ दिए ना पत्नी साथ दी। जीव अकेले आया है और अकेले ही जाएगा इसलिए हमेशा कोई भी काम करें दूसरे के आश्रित होकर के ना करें। आगे चलते हुए वामन अवतार का विस्तार से वर्णन किया गया। भगवान वामन देवताओं की कार्य सिद्धि करने के लिए राजा बलि के द्वार पर जाकर के तीन पद पृथ्वी का दान मांगा। दो ही पद में सारे संसार की वस्तु को नाप लिया तीसरा पैर वावन भगवान राजा बलि के ऊपर रखकर कृपा किए और राजा बलि के द्वार पर चौकीदार बनाकर के पहरा देते हैं भगवान अपने भक्तों के अधीन है भक्त जैसा चाहे भगवान उसके ऊपर कृपा जरुर करते हैं।
कथा में ओम प्रकाश पाठक , महेंद्र प्रसाद शुक्ला, विजय कुमार कनोडिया, पंकज कनोडिया, अजीत शुक्ला, दीपक द्विवेदी, आशुतोष पाठक, चंद्र किशोर पांडेय, महेंद्र चौरसिया, सुनील पांडेय, संतोष चौबे आदि उपस्थित रहे।