चुर्क मण्डल के बूथ दो पर सदर प्रमुख ने ग्रामीणों के साथ सुनी पीएम के मन की बात

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अमित मिश्रा

सोनभद्र। विधानसभा रावर्ट्सगंज चुर्क मंडल के बूथ संख्या 02 पर ग्राम पंचायत जमगांव में देश के प्रधानमंत्री की मन की बात रेडियो पर भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष व सदर ब्लाक प्रमुख अजीत रावत के नेतृत्व में सुनी गई। जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आज देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है।

लोकसभा चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ, जिसमें, 65 करोड़ लोगों ने वोट डाले हैं। मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रक्रिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं।उन्होंने कहा कि आज 30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन ‘हूल दिवस’ के रूप में मनाते हैं। यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था।

वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेजों का जी-जान से मुकाबला किया और जानते हैं ये कब हुआ था ? ये हुआ था 1855 में यानी ये 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो साल पहले हुआ था, तब, झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं आपसे पूछें कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा होता है तो आप जरूर कहेंगे- ‘मां’। हम सबके जीवन में ‘मां’ का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। मां हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। हर मां अपने बच्चे पर हर स्नेह लुटाती है। जन्मदात्री मां का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है, जिसे कोई चुका नहीं सकता।

उन्होंने कहा कि हम मां को कुछ दे तो सकते नही लेकिन कुछ कर सकते हैं क्या? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान का नाम है ‘एक पेड़ मां के नाम’। मैंने भी एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाया है। मैंने सभी देशवासियों से, दुनिया के सभी देशों के लोगों से ये अपील की है कि अपनी मां के साथ मिलकर, या उनके नाम पर, एक पेड़ जरूर लगाएं और मुझे ये देखकर बहुत खुशी है कि मां की स्मृति में या उनके सम्मान में पेड़ लगाने का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि हर कोई अपनी मां के लिए पेड़ लगा रहा है- चाहे वो अमीर हो या गरीब, चाहे वो कामकाजी महिला हो या गृहिणी। इस अभियान ने सबको मां के प्रति अपना स्नेह जताने का समान अवसर दिया है। वो अपनी तस्वीरों को #Plant4Mother और #एकपेड़मांकेनाम इसके साथ साझा करके दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं।पीएम मोदी ने कहा कि ‘मन की बात’ में आज मैं आपको एक खास तरह के छातों के बारे में बताना चाहता हूं। ये छाते तैयार होते हैं हमारे केरला में। वैसे तो केरला की संस्कृति में छातों का विशेष महत्व है। छाते, वहां कई परंपराओं और विधि-विधान का अहम हिस्सा होते हैं, लेकिन मैं जिस छाते की बात कर रहा हूं, वो हैं ‘कार्थम्बी छाते’ और इन्हें तैयार किया जाता है केरला के अट्टापडी में।
उन्होंने कहा कि ये रंग-बिरंगे छाते बहुत शानदार होते हैं। और खासियत ये इन छातों को केरला की हमारी आदिवासी बहनें तैयार करती हैं। आज देशभर में इन छातों की मांग बढ़ रही हैं। इनकी ऑनलाइन बिक्री भी हो रही है। इन छातों को ‘वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी’ की देखरेख में बनाया जाता है। इस सोसाइटी का नेतृत्व हमारी नारी शक्ति के पास है। पेरिस ओलंपिक पर भी बात की पीएम मोदी ने कहा कि अगले महीने इस समय तक पेरिस ओलंपिक शुरू हो चुके होंगे। मुझे विश्वास है कि आप सब भी ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने का इंतजार कर रहे होंगे। मैं भारतीय दल को ओलंपिक खेलों की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।  हम सबके मन में टोक्यो ओलंपिक की यादें अब भी ताजा हैं।


उन्होंने कहा कि टोक्यो में हमारे खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने हर भारतीय का दिल जीत लिया था।उसके बाद से ही हमारे एथलीट पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में जी-जान से जुटे हुए थे। सभी खिलाड़ियों को मिला दें, तो इन सबने करीब 900 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। पेरिस ओलंपिक में आपको कुछ चीजें पहली बार देखने को मिलेंगी। शूटिंग में हमारे खिलाड़ियों की प्रतिभा निखरकर सामने आ रही है। टेबल टेनिस में पुरुषऔर महिला दोनों टीमें क्वालिफाई कर चुकी हैं। भारतीय शॉटगन टीम में हमारी शूटर बेटियां भी शामिल हैं। इस बार कुश्ती और घुड़सवारी में हमारे दल के खिलाड़ी उन श्रेणी में भी भाग लेंगे, जिनमें पहले वे कभी शामिल नहीं रहे।लोकल फॉर वोकल पर जोर दिया।


पीएम मोदी ने कहा कि भारत के कितने ही उत्पाद हैं, जिनकी दुनिया-भर में बहुत मांग है और जब हम भारत के किसी स्थानीय उत्पाद को वैश्विक होते देखते हैं, तो गर्व से भर जाना स्वाभाविक है। ऐसा ही एक उत्पाद है अराकु कॉफी। यह आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सीता राम राजू जिले में बड़ी मात्रा में पैदा होती है। ये अपने रिच फ्लेवर और अरोमा के लिए जानी जाती है।
उन्होंने कहा कि अराकु कॉफी की खेती से करीब डेढ़ लाख आदिवासी परिवार जुड़े हुए हैं। अराकु कॉफी को नई ऊंचाई देने में गिरिजन को-ऑपरेटिव की बहुत बड़ी भूमिका रही है। इसने यहां के किसान भाई बहनों को एक साथ लाने का काम किया और उन्हें अराकु कॉफी की खेती के लिए प्रोत्साहन दिया। इससे इन किसानों की कमाई भी बहुत बढ़ गई है।


उन्होंने कहा कि मुझे याद है एक बार विशाखापत्नम में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू गारु के साथ मुझे इस कॉफी का स्वाद लेने का मौका मिला था। इसके स्वाद की तो पूछिए ही मत! कमाल की होती है ये कॉफी! अराकु कॉफी को कई ग्लोबल अवॉर्ड्स मिले हैं। दिल्ली में हुई G-20 समिट में भी यह कॉफी छाई हुई थी।


उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बनाने में हमारे जम्मू-कश्मीर के लोग भी पीछे नहीं हैं। पिछले महीने जम्मू-कश्मीर ने जो कर दिखाया है, वो देशभर के लोगों के लिए भी एक मिसाल है। यहां के पुलवामा से स्नो पीस (snow peas) की पहली खेप लंदन भेजी गई। कुछ लोगों को ये विचार सूझा कि कश्मीर में उगने वाली एग्जॉटिक सब्जी को क्यूं न दुनिया के नक्शे पर लाया जाए। बस फिर क्या था… चकूरा गावं के अब्दुल राशीद मीर जी इसके लिए सबसे पहले आगे आए। उन्होंने गांव के अन्य किसानों की जमीन को एक साथ मिलाकर बर्फीली जगह होने वाली मटर को उगाने का काम शुरू किया और देखते ही देखते snow peas कश्मीर से लंदन तक पहुंचने लगी।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से ग्राम प्रधान कामेश्वर, पिछड़ा मोर्चा के पूर्व जिला मंत्री अमन वर्मा, क्षेत्र पंचायत सदस्य गुड्डू , संजय भारती , राम प्रताप कन्नौजिया, कमलेश, गणेश प्रसाद , बृजेश कुमार , दिलीप भारती , मनोज कन्नौजिया, रमेश पासवान , चंदन कुमार व सैकड़ो की तादाद में प्रधानमंत्री की मन की बात रेडियो पर कार्यकर्ताओं ने सुना।

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