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गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है:महन्त नृत्यगोपाल दास

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महेन्द्र

अयोध्या(उत्तर प्रदेश)। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास महाराज ने आज वालमीकि रामायण भवन मे आयोजित गीता जयंती के अवसर पर कहा गीता सिर्फ हिंदू धर्म का मार्गदर्शन ही नहीं करती है, बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति को ज्ञान देती है।गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। हिन्दू शास्त्रों में गीता का सर्वप्रथम स्थान है।
वाल्यमीक रामायण भवन मे हजारो की संख्या मे उपस्थित वैदिक विद्वान,वटुको और संत धर्माचार्यो ने श्रीमद् भगवद्गीता का सस्वर पाठ किया।अपने उद्बोधन में ट्रस्ट अध्यक्ष ने कहा भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया ज्ञान गीता में लिखा गया, ये मनुष्य जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। गीता का आरंभ धर्म से तथा अंत कर्म से होता है।


उन्होने कहा गीता मनुष्य को प्रेरणा देती है। मनुष्य का कर्तव्य क्या है ? इसी का बोध करवाना गीता का लक्ष्य है। लोकप्रियता में इससे बढ़कर कोई दूसरा ग्रन्ध नहीं है और इसकी लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। गीता में अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से धार्मिक सहिष्णुता की भावना को प्रस्तुत किया गया है। गीता धर्म को स्थापित कर अधर्म को समाप्त करने की प्रेरणा देती है। महानायक योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविंद से निकली श्रीमदभगवद गीता वर्तमान जगत के लिए अनुकरणीय मूलमंत्र है।

वही उत्तराधिकारी महंत कमलनयन ने कहा महाभारत युग में जो कुछ घटित होता है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि तत्कालीन समाज में मानवीय व्यवहार के अधिकांश मानक ध्वस्त हो चले थे। पाण्डवों के साथ अन्याय हुआ, यह बात जानते तो बहुत लोग थे ,पर उनके समर्थन में आने का साहस मुट्ठी भर लोगो ने किया और यही से असत्य,कदाचार, पापाचार अनाचार को जड़ मूल से समाप्त करने का पांचजन्य फूंककर श्रीमदभगवदगीता का जन्म हुआ ।

विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की वाणी से प्रकट हुई श्रीमदभगवदगीता का हम पठन पाठन करे तो हमारा जीवन लोकहितकारी राष्ट्र को गौरवशाली बनाने मे सहोगी बनजायेगा। लेकिन दुर्भाग्य है इस राष्ट्र के जिस धरती पर श्रीमद्भागवत गीता का जन्म हुआ वहीं इस महाग्रंथ को सर्वसुलभ और लोक कल्याणकारी नहीं बनाया जा रहा है।

उन्होने स्मरण कराते हुए कहा गीता जयंती का यह दिन इस “अयोध्या के लिए अति महत्वपूर्ण है क्योकि 6 दिसंबर 1992 को हिन्दी तिथिनुसार “गीता जयंती” थी। जिस दिन गुलामी का प्रतीक ढांचा समाप्त हुआ।
कार्यक्रम के दौरान वैदिक वटुकों, विद्वानों तथा संतधर्माचार्यो को अंगवस्त्र दक्षिणा देकर सम्मानित किया ।संचालन कथाव्यास राधेश्याम शास्त्री ने किया।

इस अवसर पर श्रीमणिराम दास छावनी ट्रस्ट के सचिव कृपालु राम दास ” पंजाबी बाबा ” राम नाम बैंक के मैनेजर पुनीत राम दास,संत जानकी दास, रामरक्षा दास, आनन्द शास्त्री, बलराम दास,देवपति त्रिपाठी,डाॅ रामतेज पांडेय,डाॅ तालुकदार पंडित अनिरुद्ध शुक्ल, पंडित प्रधानाचार्य राधेश्याम मिश्र, प्रधानाचार्य इंद्रदेव मिश्र, पंडित राम शंकर द्विवेदी, राजेंद्र पाण्डेय,पं विश्वनायक पंडित धनंजय मिश्र पंडित उमेश पाण्डेय, पं प्रसाद मिश्र,श्रुतिधर दिवेदी,दीपक शास्त्री अनिरुद्ध शुक्ल ,महंत तुलसीदास दास, महंत रामकृष्ण दास,विनय शास्त्री,विमल दास,रोहित सिंह,विकास सिंह आदि उपस्थित रहे।

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