संगम स्थल पर स्थापित सूर्य मंदिर आस्था का केंद्र

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विरेन्द्र कुमार

विण्ढमगज (सोनभद्र) । सततवाहिनी नदी व कुकुर डूबा नदी के संगम स्थल पर स्थापित सुर्य मंदिर, सोनभद्र सहित झारखंड, बिहार छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों का भक्ति, विश्वास का प्रतीक है। यहां पर दूर दराज से लोग छठ महापर्व करने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि दो नदियों के संगम स्थल पर छठ महापर्व करने से मनोकामना पूर्ण होती है।


उत्तर प्रदेश,झारखंड को विभाजित करने वाले सतत वाहिनी नदी के संगम तट पर स्थित सूर्य मंदिर की महिमा अपार है। यहां पर पूरे साल भक्तों का ताता लगा रहता है। जिले का सबसे प्राचीन भव्य सूर्य मंदिर है यहां हर साल कई प्रांत के लोग छठ महापर्व करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। बुर्जुग बताते हैं कि जब यह इलाका घनघोर जंगल था तब से ही यहां पर छठ महापर्व होते आ रहा है ।1902 ईo में जब अंग्रेज अधिकारी विंडम साहब ने विण्ढमगंज नगर को बसाया था तब बिहार साइड के काफी लोग विंढमगंज आए और यहीं पर बस गए ।उसी समय से छठ पर्व भी यहां लोग करते आ रहे है ।डीहवार बाबा के प्रांगण में जब राम मंदिर का निर्माण हुआ तो राम मंदिर में ही भगवान सुर्य की एक छोटी मूर्ति स्थापित कर दी गई थी। बाद में सन क्लब सोसायटी ने संगम स्थल पर एक विशाल सूर्य मंदिर का निर्माण स्थानीय प्रत्येक लोगों के द्वारा ₹5 का सहयोग करके बनवाया गया ।तब से छठ पर्व पर जिले में सबसे बड़ा आयोजन विण्ढमगंज में होता है। मंदिर का सजावट का काम अंतिम चरण में चल रहा है ।पर्व करनेवाली व्रतीयो के लिए सैकड़ों पंडाल लगवाया जा रहा है। जगह जगह बांस बल्ली से बैरिकेडिंग का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। चार दिवसीय इस महापर्व पूरे विधि विधान से लोग करते हैं। पूरे छठ घाट पर युद्ध स्तर से हो रहे काम को क्लब के अध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता, संयोजक अजय कुमार गुप्ता के निगरानी में किया जा रहा है।

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