अमित मिश्रा
बजाओ ढोल स्वागत में मेरे घर राम—– हेलो स्कूल में मासूमों ने किया रामलीला मंचन:
-राम आयेगे की रही धूम, मनमोहक प्रस्तुति ने मोहा मन।
सोनभद्र(यूपी)। जनपद में चोपन रोड स्थित हेलो स्कूल आफ एक्सीलेंस के नन्हे मुन्ने बच्चों ने विद्यालय में असत्य पर सत्य का विजय पर्व बुद्धवार को सेलिब्रेट किया। इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के आयोजन किये गये।
बच्चो ने राम आयेगे अंगना सजायेगे, बजाओ ढोल स्वागत में मेरे घर राम पर मनमोहक नृत्य पीहू अग्रवाल, सौम्या शुक्ला, रिया सोनी, अराध्या शुक्ला, आयत, सना फातिमा, अक्षिता थापा, रूही कुमारी ने प्रस्तुत कर लोगो का मन मोह लिया।
इसी क्रम में मेरी मां के बराबर कोई नही ऊंचा भवन ऊंचा मन्दिर ऊंच स्थानी मैया तेरी चरणो में झुके बादल भी, सादिया, दिव्यांश अग्रवाल, मान्यता अग्रवाल, आश्वी, अनायरा, काजल कुमारी, उर्वशी, इसानी यादव आदि की प्रस्तुति ने लोगो को मंत्रमुग्घ कर दिया। दुर्गा व मर्यादा भगवान पुरूषोत्म राम के बारे में बच्चो को विस्तार से बताया गया।
रामलीला के मंचन में अहान रावण , रिया सोनी दुर्गा, युवराज हनुमान, सौम्या सीता अराध्या राम व पीहू अग्रवाल लक्ष्मण का किरदार निभाया। प्रधानाचार्य नाहिद खान ने बच्चो को बताया कि भगवान राम ने दशहरा के दिन ही रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। दशहरा वर्ष की तीन अत्यंत शुभ तिथियों में से एक है। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते हैं, इस दिन शस्त्र-पूजा, वाहन पूजा की जाती है।
श्रीमती खान ने बताया कि प्राचीन काल में राजा इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों को छोड़ने की प्रेरणा हमें देता है। रावण भगवान राम की पत्नी देवी सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। भगवान राम युद्ध की देवी मां दुर्गा के भक्त थे, उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन दुष्ट रावण का वध किया। इसलिए विजयादशमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। राम की विजय के प्रतीक स्वरूप इस पर्व को विजयादशमी कहा जाता है।
मां दुर्गा की शक्ति का वर्णन करते हुये बताया कि एक बार जब देवगण असुरो के अत्याचारो से तंग आ चुके थे तब ब्रह्मा जी ने बताया कि दैत्यराज को यह वर मिला है कि उसकी मौत कुवांरी कन्या से होगी। तब सभी देवताओ को एक तरकीब सूझी उन्होने मिलकर अपनी अपनी शक्तियो से 18 भुजाओ को धारण करने वाली मां दुर्गा को प्रकट किया। मां का तेज देखकर दैत्यराज डर गया । मां ने अपने शस्त्रो से दैत्यराज का वध कर दिया तभी से माता को दुर्गा के नाम से पुकारा जाने लगा। महोत्सव का संचालन प्रबन्धक शमशाद आलम ने किया।