नौवीं शताब्दी से इस कुण्ड में स्नान कर रहे श्रद्धालु,जाने क्या है मान्यता

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शिवम गुप्ता

वाराणसी। काशी के इस कुंड में स्नान से होती है संतान की प्राप्ति, नौवी शताब्दी से होता आ रहा है स्नान इस कुंड को सूर्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है।

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर लोलार्क कुण्ड में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिखी गई. ऐसी मान्यता है कि लोलार्क कुंड में स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है.

धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में श्रद्धा का जन सैलाब देखने को मिला। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर आज लोलार्क कुण्ड वाराणसी में आस्थावानों की भीड़ उमड़ पड़ी। देश के कोने-कोने से आए लाखों श्रद्धालुओं ने शहर के भदैनी में स्थित पौराणिक लोलार्क कुंड में आस्था की डुबकी लगाई. ऐसी मान्यता है कि कुंड में स्नान करने और लोलार्केश्वर महादेव की पूजा करने से संतान की प्राप्ति और तमाम रोगों से मुक्ति मिलती है।

वाराणस्यामुषित्वापि यो लोलार्कं न सेवते ।
सेवंते तं नरं नूनं क्लेशाः क्षुद्व्याधिसंभवाः ।।

लोलार्क काशी के समस्त तीर्थों में प्रथम शिरोदेश भाग है और दूसरे तीर्थ अन्य स्थलों के समान है; क्योंकि सभी तीर्थ असि के जल से धोए गये हैं. आज लोलार्क छठ है. दूर-दूर से लोग इस कुंड में नहाने के लिए आते हैं. ऐसी मान्यता है, आज के दिन स्नान करने से संतान और पुत्र की प्राप्ति होती है।

काशी में कई ऐसी जगह है जो चमत्कारिक है.इन जगहों पर विज्ञान भी फेल साबित हो जाता है.वैसे को बांझपन और निसंतान दम्पति अपनी सूनी गोद भरने के लिए आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल करती है.लेकिन काशी में एक ऐसा प्राचीन और ऐतिहासिक कुंड है जहां एक खास तिथि पर स्नान से माताओं की सूनी गोद भर जाती है।

काशी में इस तीर्थ का सीधा कनेक्शन भगवान सूर्य से है.कहा जाता है कि भगवान सूर्य ने इसी जगह पर हजारों साल तपस्या की थी.ऐसी मान्यता है कि आज सूर्य की पहली किरण इसी जगह पर पड़ती है.यह जगह सूर्य और मां गंगा का तीर्थ स्थल है।

लोलार्क छठ के दिन होती है विशेष ऊर्जा काशी के इतिहास के जानकार बीएचयू के प्रोफेसर प्रवीण सिंह राणा ने बताया कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्टी तिथि को यहां देशभर के भक्तों की भीड़ लगती है.यह स्थान काशी के द्वादश आदित्य में से एक है.यहां लोकाकेश्वर महादेव का मन्दिर भी है.लोलार्क षष्टी के दिन सूर्य की विशेष किरण इस कुंड पर पड़ती है और मां गंगा की एनर्जी भी बढ़ जाती है.जिससे इस दिन स्नान से यहां निसंतान दम्पति को संतान की प्राप्ति होती है।

वही रमेश कुमार पांडेय पुजारी ने बताया कि यहां स्नान के निसंतान दम्पति को संतान सुख की प्राप्ति होती है.कई रिसर्च में ऐसे तथ्य सामने आए है.यही वजह है कि लोलार्क षष्टी के दिन यहां लाखों दम्पति स्नान के लिए आते है।

मंदिर के पुजारी रमेश कुमार पांडेय ने बताया कि इस कुंड में स्नान के दौरान एक फल भी वैवाहिक दम्पति को इस कुंड में प्रवाहित करना होता है.फिर पूरे एक साल तक उस फल का सेवन नहीं करना होता है.एक बार जिन माताओं की सूनी गोद यहां स्नान के बाद भर जाती है वो अपनी मन्नत उतारने यहां दोबारा आती है।

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