खनन स्थल से हटकर सोन नदी की धारा मोड़ हो रहा बालू खनन, मुख्यमंत्री से किया गया शिकायत

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अमित मिश्रा

सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। भारतीय जनता पार्टी वर्ष 2017 में जब प्रदेश की सत्ता में 14 वर्ष बाद वापसी किया और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी तो अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए स्वयं के पास भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग मुख्यमंत्री ने रखा लेकिन पिछले सात सालों में जनपद की नदियों और पहाड़ों पर बेधड़क अवैध खनन जारी है। इसकी तमाम शिकायत  समाजसेवी व पर्यावरण संरक्षकों ने शासन और एनजीटी में किया लेकिन कई भी प्रभावी कार्रवाई खनन सिंडिकेट पर नही होता दिखता है।

ताजा मामला जनपद में ओबरा तहसील क्षेत्र के  ग्राम बरहमोरी में मे० वर्धमान, इण्डो फार्मा एवं मास्टर जेनी के नाम से तीन खनन प‌ट्टा स्वीकृत को लेकर निर्भय चौधरी ने मुख्यमंत्री और एनजीटी में किया गया है।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि सोन नदी में खनन पट्टा स्थल बरहमोरी राजस्व गांव में किया गया है लेकिन प‌ट्टेधारकों द्वारा अवैध रूप से खनन माइनिंग प्लान में विपरीत ग्राम हर्रा जो स्वीकृत खनन प‌ट्टा नदी के विपरीत दिशा दूसरे हिस्से से तथा ग्राम हर्रा के वन भूमि के क्षेत्र में अवैध रूप से ट्रकों के आवागमन के लिये रास्तों का निर्माण किया जा रहा है। उक्त रास्ते के निर्माण में अवैध रूप से बिल्ली मारकुण्डी के डोलो स्टोन खनन प‌ट्टों से बिना ई-एमएम 11 व फार्म सी से हजारों ट्रक डोलो स्टोन ले जाकर अवैध निर्माण कर रहे है। जिससे आम जनमानस में राज्य सरकर की छवि धूमिल हो रही है। उक्त निर्माण को भौतिक रूप से देखा व प्रमाणित किया जा सकता है।

यह तथ्य भी समाचीन है कि उक्त खनन पट्टा स्वीकृत स्थल पर जाने के लिए ग्राम पटवध-बसुहारी मार्ग से पहुंचा जा सकता है तथा पर्यावरण जनसुनवाई की कार्यवाही तथा खनन पट्टे के माइनिंग प्लान में ग्राम बरहमोरी जो नदी के विपरीत है। खनन माफिया खनिज विभाग के अधिकारियों को अपने साजिश व प्रभाव में ले करके राष्ट्रीय हरित क्रान्ति (एन०जी०टी०) के नियमों के विरूद्ध विपरीत दिशा से नदी तल के मध्य तक नदी की धारा को रोकते हुए वाहनों को आवागमन हेतु अवैध निर्माण कर रहे है जो आम जनमानस के स्वास्थ्य ,जलीय जीव को खतरा पैदा करते हुए खनन नियमों का खुल्लम खुल्ला अवहेलना कर रहे है। 

आम जनमानस द्वारा शिकायत करने पर उक्त खनन पट्टों के संचालन प्रतिनिधि रजनीश मिश्रा व पंकज द्विवेदी द्वारा हम आम जनमानस व्यक्तियों को भयाक्रान्त व फर्जी मुकदमों में फंसाने की धमकी देते हैं।  खनन प‌ट्टेधारक प्रतिनिधियों द्वारा कहा जाता है कि उच्चाधिकारियों द्वारा उक्त पटटों के संचालन अवैध धन लाखों रूपये प्रतिमाह के रूप में दिया जाता है जिसको जहां शिकायत करना है करें।
उक्त खनन प‌ट्टाधारकों द्वारा अवैध खनन का ट्रकों पर तय मानक घन फीट/टन से अधिक बालू लोड कर परिवहन कराया जा रहा है जिससे राज्य सरकार को भी करोड़ों रूपये की क्षति हो रही है। जिससे उक्त खनन प‌ट्टों पर एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर अवैध रूप से पोकलेन जो 10-12 की संख्या में है तथा नावों के माध्यम से नदी तल के मध्य से लगभग 30-40 फीट नीचे गहरी खनन कर अवैध धन लेकर ट्रकों से परिवहन कराया जा रहा है।


उक्त खनन प‌ट्टों में जनसुनवाई के समय आमजनमानस को रोजगार व उक्त खनन प‌ट्टों पर मजदूरों द्वारा ट्रकों द्वारा लोडिंग करने का वचनबद्ध हुए थे पोकलेन मशीन व नाव से खनन करने से मछुआ व घडियाल व मगरमच्छ इत्यादि जलीय जन्तु को जान की क्षति कारित हो रही है तथा इस तथ्य से अवगत कराना है कि नदी के मध्य में व ग्राम हर्रा की वन भूमि में अवैध रास्ता के निर्माण में बिल्ली मारकुण्डी के डोलो स्टोन गिट्टी से रास्ता का निर्माण कर रहे है जिसमें हजारों ट्रक डोलो स्टोन बिना परमिट ई-एमएम-11/ फार्म-सी के बिना गिट्टी ले जाकर निर्माण कर रहे है जिसका खनन विभाग से आंकलन करने पर कई करोड रूपये का सरसकार का रायल्टी / राजस्व चोरी किये है तथा कैमूर वन्य जीव बिहार सेन्चुरी क्षेत्र के नियम व कायदों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन कर रहे है।

बताते चले कि जिला प्रशासन राजस्व अभिलेख के अनुसार सोन नदी की बीच धारा में खनन पट्टा स्थल होना बताता है जो की जांच का विषय है।

उक्त तीनों खनन क्षेत्रों का भौतिक रूप से सत्यापन कर अधोहस्ताक्षरी के शिकायती प्रार्थना पत्र पर अवश्यक कार्यवाही प्रस्तावित किया जाना न्यायहित, जनहित में व आम जनमानस के स्वास्थ्य हित व पर्यावरणीय संरक्षण हेतु उचित आदेश पारित कर कार्यवाही किया जाना न्यायहित में आवश्यक है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, निदेशक खनन,  प्रमुख सचिव, प्रभागीय वनाधिकारी ओबरा प्रभाग व प्रभागीय वनाधिकारी कैमूर रेंज से किया गया है। 

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