अजित
प्रयागराज(उत्तर प्रदेश)। महाकुंभ की शुरुआत के पहले ही सनातन धर्म के शीर्ष कहे जाने वाले 13 अखाड़ों के साधु संन्यासियों का कुंभ क्षेत्र में आना शुरू हो गया है। नागा संन्यासी यहां अपनी तरह की अजब गजब साधना कर रहे हैं। एक हाथ उठाकर नागा संन्यासी अनोखी साधना कर रहे हैं।
प्रयागराज महाकुंभ के महाकुंभ नगर मे जूना अखाड़े के संतों ने अपनी कुटिया बनाकर धूनी रमाना शुरू कर दिया है। जूना अखाड़ा के नागा संन्यासी महेश गिरी भी अपने अनोखे संकल्प को लेकर साधना कर रहे हैं। नागा संन्यासी एक हठ योगी हैं । उन्होंने ऊर्ध्व बाहु की तपस्या का संकल्प लिया है। महेश गिरी की यह साधना इसलिए अनोखी है क्योंकि इसमें नागा अपना एक हांथ एक ही स्थिति में सर के ऊपर खड़ा रखते हैं कभी भी नीचे नहीं करते।
महेश गिरी नागा जूना अखाड़ा का कहना है कि बेहद पीड़ा वाली यह तपस्या है क्यों कि इस प्रक्रिया में हाथ की नसे सूखने लगती हैं। रात में वह अपने एक हाथ को कपड़े से बांध देते हैं ताकि हाथ खड़ा रहे। महेश गिरी हठ योग साधक हैं और अपने उठे हुए हाथ को वह शिव रूप बताते हैं। दिन रात भगवान शिव का जाप करते हैं। वह अपने इस संकल्प को आजीवन करते रहना है।
नागा संन्यासी महेश गिरी कहते हैं कि आज सनातन धर्म कमजोर पड़ रहा है। लोग सनातन से भटक रहे हैं। लोग भगवान पर यकीन नहीं कर रहे हैं इन्हें सनातन की शक्ति का अनुभव ऐसे साधक ही कराते हैं। महेश गिरी कहते हैं बंटेंगे तो कटेंगे का विचार सनातन धर्म के लोगों तक पहुंचाने के लिए उनकी यह तपस्या है।