गांवो व निकायों में जलाया जाय अलावा,मोबाइल एप से होगा सत्यापन:सहदेव मिश्रा

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अमित मिश्रा

रैन बसेरों में मानक के अनुरूप हो व्यवस्था:एडीएम

सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। जनपद में बढ़ती शीतलहर से बचाव के लिए जिला प्रशासन ने सभी आवश्यक प्रबन्ध सुनिश्चित किये जाने का निर्देश सभी उप जिलाधिकारी और नगर निकायों को दिया गया है।

अपर जिलाधिकारी सहदेव कुमार मिश्र ने बताया कि राहत आयुक्त की समीक्षा बैठक में राहत पोर्टल के संचालन, पोर्टल पर लम्बित प्रकरणों, मुआवजा वितरण के लम्बित प्रकरणों, रिटर्न बिल, शीतलहर से बचाव, कम्बल वितरण, रैन बसेरों का संचालन तथा अन्य बिन्दुओं पर दिये गये निर्देशों के अनुपालन कार्यवाही सुनिश्चित किये जाने के निर्देश प्राप्त हुआ है।

उन्होंने बताया कि समस्त उपजिलाधिकारी एवं तहसीलदार राहत पोर्टल पर अपनी आईडी अनिवार्य रूप से बनवा लें अथवा अद्यतन कर लें। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा घोषित आपदाओं में प्रभावित व्यक्तियों व परिवारों को अधिकतम 24-48 घंटे के अंदर राहत राशि प्रदान कर दी जाये।

राहत पोर्टल पर यदि तीन कार्य दिवस के उपरांत मांग अपलोड किया जाता है तो उक्त आवेदन की अपलोडिंग से पूर्व संबंधित तहसीलदार का यह दायित्व होगा कि जिला मुख्यालय को सूचित करें कि किन कारणों से राहत पोर्टल पर प्रकरण अपलोड नहीं हो पाया था,इसके बाद ही अपलोडिंग की कार्यवाही सुनिश्चित करें।

राहत पोर्टल पर जिस भी स्तर पर डाटा लम्बित पाया जाता है तो उक्त के विरूद्ध कठोर विभागीय कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। राहत पोर्टल पर आवेदन के साथ संलग्न किये जाने वाले अभिलेख-पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पंचनामा, जीपीएस आधारित फोटोग्राफ, उपजिलाधिकारी व तहसीलदार द्वारा स्वीकृति आलेख, अद्यतन बैंक पासबुक (बैंक विलय की दशा में खाता संख्या तथा आईएफएस कोड परिवर्तन की अद्यतन प्रति) तथा अन्य अभिलेख अनिवार्य रूप से संलग्न कर अपलोड किये जायें।

राहत पोर्टल पर अपलोड किये जा रहे समस्त अभिलेख स्पष्ट व पठनीय हों। राहत पोर्टल पर लेखपाल द्वारा अपलोड किये जा रहे अभिलेखों की जांच संबंधित राजस्व निरीक्षक गहनतापूर्वक करें तदोपरांत ही भुगतान हेतु अग्रसारित करें। अग्रसारित अभिलेख यदि अपूर्ण हैं तो उक्त दशा में संबंधित राजस्व निरीक्षक की जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए विभागीय कार्यवाही की जायेगी। लेखपाल का यह दायित्व होगा कि राहत पोर्टल पर यह प्रदर्शित हो कि लाभार्थी के खाते में राज्य आपदा मोचक निधि गाईडलाइन के अनुसार अहैतुक , अनुग्रह सहायता प्रदान कर दी गयी है, के संबंध में अपने स्तर से लाभार्थी से सत्यापन अनिवार्य रूप से करें।

उन्होंने बताया कि शीतलहर से बचाव के मद्देनजर शासन के निर्देश पर निराश्रित व असहाय तथा कमजोर वर्ग के गरीब व्यक्तियों को वितरित किये जाने वाले कम्बल का विवरण मोबाईल ऐप (आपदा प्रहरी ऐप) के माध्यम से किये जाने की कार्यवाही राहत आयुक्त कार्यालय एवं एनआईसी लखनऊ द्वारा की जा रही है। उक्त के संबंध में प्रत्येक लाभार्थी का फोटोग्राफ विवरण ऐप के माध्यम से पोर्टल पर अपलोड किया जाना अनिवार्य है।

शीतलहर से बचाव के लिए अलाव स्थल का सत्यापन मोबाइल ऐप के माध्यम से किये जाने की कार्यवाही की जा रही है, जिसमें संबंधित लेखपाल एवं उक्त क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति व ग्राम प्रधान का मोबाइल नम्बर पंजीकृत किया जायेगा, जिनका यह दायित्व होगा कि प्रत्येक दिवस जलाये जा रहे अलाव का फोटोग्राफ ऐप द्वारा पोर्टल पर अपलोड करेंगे। इसके पश्चात ही यह माना जायेगा कि अलाव जलाये जाने की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की गयी है। प्रत्येक अलाव स्थल का लांगीट्यूट व लैटीट्यूट पंजीकृत मोबाईल नंबर के साथ सम्बद्ध कर दिया जायेगा। उक्त स्थल के अतिरिक्त किन्हीं अन्य स्थल का फोटोग्राफ मान्य नहीं होगा।

नगर निकायों द्वारा संचालित किये जा रहे सभी रैन बसेरों का विवरण राहत आयुक्त कार्यालय को उपलब्ध करा दिया गया है, जिसकी जीआईएस मैपिंग की कार्यवाही की जा रही है। उक्त के अतिरिक्त नगर पालिका व नगर पंचायतों में रैन बसेरा संचालित किया जाना अनिवार्य है, जिसके प्रभारी का नाम, पदनाम, मोबाईल नं0, लांगीट्यूट व लैटीट्यूट तथा रैन बसेरे की क्षमता एवं पता आदि विवरण तत्काल उपलब्ध कराया जाना है। रैन बसेरों में आवश्यक व्यवस्थायें जैसे-शुद्ध पेयजल, निर्बाध विद्युत आपूर्ति, शौचालय, अलावध्हीटर, सीसी टीवी, लाकर तथा साफ-सुथरे रजाईध्कम्बल, गद्दा, चादर, तकिया, अनिवार्य रूप से उपलब्ध रहे। रैन बसेरों का समय-समय पर औचक निरीक्षण जनपद एवं तहसील स्तरीय अधिकारी स्वयं से सुनिश्चित करेंगे और जो भी कमियां पायी जाती हैं, उन्हें तत्काल पूर्ण करायेंगे। शीतलहर के दौरान चिकित्सालयों, चिकित्सा केन्द्रों तथा अन्य सरकारी व गैर सरकारी चिकित्सकीय स्थलों पर आवश्यक स्वास्थ्य सेवायें सुनिश्चित की जायें।

शीतलहर के दौरान पशुओं की सुरक्षा हेतु अभियान संचालित कर आवश्यक टीकाकरण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। साथ ही पशुपालकों को संभावित अग्निकाण्ड की घटनाओं के संबंध में जागरूक किया जाये। आटोमेटिक वेदर स्टेशन एवं आटोमेटिक रेनगेज स्टेशन का संचालन- जनपद में स्थापित किये गये आटोमेटिक वेदर स्टेशन एवं आटोमेटिक रेनगेज स्टेशन का संचालन निर्बाध रूप से हो, के लिए पूर्ण रूप से संबंधित क्षेत्र के उपजिलाधिकारी उत्तरदायी होंगे। स्टेशन में स्थापित किये गये उपकरणों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के लेखपाल की होगी। यदि किन्हीं स्थल पर कोई समस्या उत्पन्न होती है तो तत्काल जिला ईओसी 05444-222384ध्297645 को संबंधित उपजिलाधिकारी लिखित रूप में अवगत करायेंगे।

जनपद में 09 स्थलों पर रेनगेज रूफटाप पर स्थापित किये गये थे, को उपयुक्त भूमि स्थल पर पुनः स्थापित किये जाने की कार्यवाही कार्यदायी संस्था द्वारा की जायेगी, जिसके लिए समुचित सहयोग संबंधित उपजिलाधिकारी उपलब्ध करायेंगे। प्रभावित व्यक्तियों व परिवारों को यदि बैंक खाता विवरण भरे जाने में की गयी त्रुटि अथवा किन्हीं अन्य कारणों से भुगतान की गयी धनराशि रिर्टन बिल के रूप में वापस आती है और तत्काल उक्त विवरण को संशोधित कर भुगतान सुनिश्चित नहीं कराया जाता है तो उक्त दशा में संबंधित क्षेत्र के लेखपाल का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए कठोर विभागीय कार्यवाही सुनिश्चित की जाये।

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